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India Daily

सुप्रीम कोर्ट में CJI के ऊपर जूते फेंकने की कोशिश करने वाला वकील निलंबित, बार काउंसिल ने लिया कड़ा एक्शन

कॉउंसिल ने बताया कि इस तरह की अशोभनीय हरकत करनेवाले वकील को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा, जिसमें अधिवक्ता को आदेश प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर जवाब देना होगा, जिसमें यह बताना होगा कि निलंबन क्यों जारी नहीं रखा जाना चाहिए

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Attempt to attack on Supreme Court CJI
Courtesy: X Handle @mohitlaws

Attempt to Attack on Supreme Court CJI: सोमवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट में उस समय अजीबोगरीब मामला देखने को मिला, जब एक व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई के ऊपर जूते फेंकने की कोशिश की. हालांकि जूता CJI के ऊपर नहीं गिरकर जस्टिस विनोद चंद्रन के पास जा गिरा. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उक्त व्यक्ति को हिरासत में लेकर फ़ौरन कक्ष से बाहर निकाल दिया. बताया जा रहा है कि जूते फेंकने की कोशिश करनेवाला शख्स वकील है और वो खजुराहो मूर्ति मामले की सुनवाई के दौरान CJI द्वारा की गई 'भगवान विष्णु से प्रार्थना करें' टिप्पणी से नाराज़ था. वही अब बार कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया ने उक्त वकील के लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. 

दरअसल सोमवार को 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने खजुराहो विष्णु मूर्ति पुनर्स्थापना मामले में सीजेआई गवई के टिप्पणियों से नाराज होकर CJI बीआर गवई के ऊपर जूता फेंकने की कोशिश की. हालांकि जूता CJI के ऊपर नहीं गिरकर जस्टिस विनोद चंद्रन के पास जा गिरा. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने राकेश किशोर को हिरासत में ले लिया. वही अब इस मामले में बार कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वकील राकेश किशोर के लाइसेंस को निलंबित कर दिया है. 

आरोपी वकील को जारी किया जाएगा कारण बताओ नोटिस

कॉउंसिल ने बताया कि कारण इस तरह की अशोभनीय हरकत करनेवाले वकील को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा, जिसमें अधिवक्ता को आदेश प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर जवाब देना होगा, जिसमें यह बताना होगा कि निलंबन क्यों जारी नहीं रखा जाना चाहिए तथा आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए ? किशोर को आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई तक देश भर में किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या कानूनी प्राधिकरण में वकालत करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

क्या कहा था CJI ने ? 

दरअसल, खजुराहो विष्णु मूर्ति पुनर्स्थापना मामले में CJI गवई ने कहा था कि खजुराहो में शिव का एक बहुत बड़ा लिंग है और अगर याचिकाकर्ता शैव धर्म के विरोधी नहीं हैं तो वे वहां जाकर पूजा कर सकते हैं. उन्होंने याचिका को प्रचार हित याचिका कहते हुए भगवान से ही प्रार्थना करने को कहा था. उनकी टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर जमकर विवाद भी हुआ था, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं.