Kolkata Rains 2025: 'कोलकाता में क्यों हुई तबाही मचाने वाली 'रिकॉर्ड तोड़ बारिश', डरावनी है इसके पीछे की वजहें
Kolkata Rains 2025: कोलकाता में 251.4 मिमी बारिश ने 137 साल का रिकॉर्ड तोड़ा. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चरम मौसम घटना जलवायु परिवर्तन और तेजी से गर्म हो रहे भारतीय महासागर का नतीजा है. विशेषज्ञों ने चेताया कि ऐसी बारिश अब सामान्य होती जा रही है और इससे निपटने के लिए जलवायु-अनुकूल ढांचा और आपदा प्रबंधन जरूरी है.
Kolkata Rains 2025: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता ने इस सप्ताह अपनी सबसे भयावह बारिशों में से एक का सामना किया. सोमवार रात से मंगलवार सुबह तक हुई 251.4 मिलीमीटर बारिश ने 1986 के बाद का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बना दिया. भारतीय मौसम विभाग यानी IMD के अनुसार यह 137 वर्षों में छठा सबसे ज्यादा एक दिन का वर्षा आंकड़ा है. इस बारिश ने न सिर्फ शहर को ठप कर दिया बल्कि 10 लोगों की जान भी ले ली, जिनमें से 9 की मौत करंट लगने से हुई.
सबसे ज्यादा बारिश का समय 23 सितंबर की सुबह 3 बजे से 4 बजे के बीच रहा, जब मात्र एक घंटे में 98 मिलीमीटर पानी बरसा. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बारिश लगभग बादल फटने जैसी स्थिति थी. IMD के मुताबिक, यह भारी बारिश बंगाल की खाड़ी में 22 सितंबर को बने लो-प्रेशर सिस्टम की वजह से हुई. यह सिस्टम ओडिशा और गंगा-पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ा जिससे लगातार नमी का जमावड़ा रहा, जिसके परिणामस्वरूप भारी बारिश हुई. विशेषज्ञों ने इस अत्यधिक बारिश के लिए बदलते जलवायु पैटर्न, विशेष रूप से हिंद महासागर के तेजी से गर्म होने को जिम्मेदार ठहराया है.
स्काइमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट का बयान
स्काइमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत ने कहा, 'यह बारिश बेहद दुर्लभ थी. बंगाल की खाड़ी से लगातार नमी का प्रवाह और असामान्य रूप से गर्म समुद्र सतह तापमान ने बादलों को ज्यादा समय तक सक्रिय रखा.' उन्होंने बताया कि वैश्विक तापन की वजह से बंगाल की खाड़ी तेजी से गर्म हो रही है, जिससे वाष्पीकरण बढ़ रहा है और बारिश अधिक तीव्र होती जा रही है.
मानसून की वापसी में देरी की वजह
जलवायु वैज्ञानिक डॉ. रघु मुरतुगुड्डे जो मैरीलैंड विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफेसर और आईआईटी-मुंबई के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं, उन्होंने कहा कि वैश्विक तापन की वजह से प्रशांत महासागर में लगातार टाइफून बन रहे हैं. ये विशाल सिस्टम उत्तर हिंद महासागर से नमी खींच लेते हैं, जिससे भारत में मानसून का पैटर्न बिगड़ जाता है और बंगाल की खाड़ी में लो-प्रेशर सिस्टम बनने लगते हैं. यही कारण है कि कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों में मानसून की वापसी में देरी हो रही है.
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गहरी चोट
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे के डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल ने चेतावनी दी है कि भारतीय महासागर औद्योगिक युग से अब तक 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म हो चुका है और यह दुनिया के सबसे तेजी से गर्म हो रहे महासागरों में शामिल है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह गर्मी समुद्री हीटवेव को स्थायी बना सकती है, जिससे चक्रवातों की ताकत बढ़ेगी, बारिश और अधिक होगी और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गहरी चोट पहुंचेगी.
इंडियन ओशन डाइपोल में बदलाव की आशंका
वैज्ञानिकों ने इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) में भी बड़े बदलाव की आशंका जताई है, जिससे भविष्य में दक्षिण एशिया का मानसून और चक्रवात पैटर्न और अधिक अस्थिर हो सकता है. कोलकाता की हालिया बारिश ने यह साफ कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ भविष्य का खतरा नहीं है, बल्कि वर्तमान की सच्चाई बन चुका है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब शहरी ढांचे को जलवायु के अनुकूल बनाने, आपदा प्रबंधन को मजबूत करने और जलवायु कार्रवाई को तेज करने की जरूरत है.
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