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"मैं ज्योतिषी नहीं हूं जो बताऊं की BJP कितनी सीटें जीतेगी...", वफादारों के टिकट कटने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा बयान

,MP Assembly Election 2023: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने वफादारों के टिकट कटने पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि "बीजेपी में टिकट वितरण में न मेरा है न तेरा है. सभी BJP का हिस्सा हैं"

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Avinash Kumar Singh
"मैं ज्योतिषी नहीं हूं जो बताऊं की BJP कितनी सीटें जीतेगी...", वफादारों के टिकट कटने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा बयान

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की चुनावी रणभेरी बजने में अभी कुछ महीनों का वक्त बाकी है लेकिन सूबे का सियासी तपिश बढ़ता ही जा रहा हैं. बीजेपी और कांग्रेस पार्टी पूरी तरह एक्शन मोड में आ गई है. दोनों पार्टियों ने अपने -अपने स्तर पर चुनावी रणनीतियों को अमलीजामा पहनाना शुरु कर दिया है. बीते दिनों बीजेपी ने मध्यप्रदेश के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की है. इल लिस्ट में 39 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है.

अपने वफादारों के टिकट कटने पर सिंधिया का बड़ा बयान 

दरअसल चुनावी साल है तो जाहिर तौर पर चुनावी बातें होगीं. इस बार मध्य प्रदेश की सियासत में चुनावी चर्चा बीजेपी टिकट बंटवारे की है. ग्वालियर में आयोजित बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी के बैठक से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने वफादारों के टिकट कटने पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि "बीजेपी में टिकट वितरण में न मेरा है न तेरा है. सभी भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा हैं. बीजेपी में कांग्रेस की तरह कोई गुटबाजी नहीं है. जिस व्यक्ति के जीतने की अच्छी संभावना होती है. उसे पार्टी टिकट देती है"

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"मैं ज्योतिषी नहीं हूं जो बताऊं की BJP कितनी सीटें जीतेगी"

इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कितनी सीटें जीतने के सवाल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि "मैं ज्योतिषी नहीं हूं जो यह बताऊं की बीजेपी कितनी सीटें जीतेगी. लेकिन हम राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ग्वालियर दौरे के बाद पार्टी कार्यकर्ता ऊर्जावान महसूस कर रहे हैं और वे अब नए जोश के साथ चुनाव के लिए काम करेंगे"  

"3 महीने में सिंधिया के तीन करीबियों ने छोड़ा BJP का साथ"

मध्यप्रदेश में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होना है. बीजेपी जहां सत्ता को बरकरार रखने में जुटी है तो वहीं कांग्रेस उसे सत्ता से बेदखल करने की कोशिश में लगी हुई है. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और कमलनाथ की नेतृत्व में सूबे में सरकार भी बनाई थी लेकिन 2020 में सिंधिया समर्थक तमाम विधायकों ने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया.

इन विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई थी और राज्य में शिवराज सिंह की अगुवाई में बीजेपी ने सरकार बन गयी. अब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी सियासी दलों में शह-मात का खेल जारी है. बीजेपी में शामिल होने वाले तमाम सिंधिया समर्थकों को इस बात की उम्मीद थी कि उनको बीजेपी में सम्मानजनक पद, प्रतिष्ठा और सम्मान मिलेगा लेकिन समय बीतने के साथ सिंधिया समर्थकों को निराशा हाथ लगी. जिसके बाद सिंधिया का सियासी कुनबा अब बिखरने लगा है.

पिछले तीन महीनों में तीन सिंधिया समर्थक कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे. बीते दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार समंदर पटेल अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया था. वहीं शिवपुरी के बीजेपी नेता बैजनाथ सिंह यादव ने सिंधिया से नाता तोड़ लिया था. इसके साथ ही साथ 26 जून को व्यापारी वर्ग से जुड़े सिंधिया समर्थक राकेश गुप्ता ने बीजेपी छोड़ अपने कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लिया था

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