J-K Assembly Elections 2024: जम्मू और कश्मीर की बिजबेहरा विधानसभा क्षेत्र की सियासी लड़ाई, दिलचस्प हो गई है. यह कश्मीर की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक बन गई है. वजह ये है कि इस लोकसभा सीट से इल्तिजा मुफ्ती सियासी मैदान में हैं. उनके खिलाफ नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के दिग्गज नेता बशीर वीरी चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों राजनीतिक पार्टियां, वोटरों को लुभाने में जुटे हैं. इल्तिजा राजनीति में नई हैं और युवा उनके साथ नजर आ रहे हैं.
इल्तिजा मुफ्ती का विधानसभा क्षेत्र, बिजबेहरा श्रुगुफवारा है. 18 सितंबर को पहले चरण में ही यहां चुनाव होने वाले हैं. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के लिए ये विधानसभा बेहद अहम है. मुफ्ती परिवार का इस सीट पर दबदबा रहा है. इल्तिजा मुफ्ती के समर्थन में स्थानीय लोग प्रचार कर रहे हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लोगों के लिए, युवाओं के लिए विकास मुद्दा है. वे रोजगार चाहते हैं और बेहतर संसाधनों की तलाश में हैं.
वोटरों का कहना है कि यहां पीडीपी ने विकास के लिए कोशिशें की हैं. अंतिम सरकार भी पीडीपी की की रही है. कई परियोजनाएं शुरू हुईं, जिसमें लोग शामिल रह हैं. अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र में पीडीपी मेहनत की. साल 1996 के बाद से, पार्टी को कभी इस विधानसभा सीट से हार नहीं मिली है लेकिन बीते एक दशक में नेशनल कॉन्फ्रेंस को यहां से अघोषित बढ़त मिली है.
पीडीपी के कार्यकर्ता ही मानते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यहां बढ़त हासिल की है. इस बार, पारंपरिक सीट पर कड़ी टक्कर हो सकती है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता बशीह अमहद वीरा, बिजबेहरा-श्रीगुफवारा से दो बार चुनाव हार चुके हैं. पार्टी समर्थकों की मानें तो इस बार स्थितियां जमीनी स्तर पर अलग हैं. पीडीपी के खिलाफ लहर है, जिसका लाभ नेशनल कॉन्फ्रेंस को मिल सकती है.
अहमद वीरा के पिता भी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता रहे हैं और 3 बार विधानसभा चुनाव जीता है. नेशनल कॉन्फ्रेंस से जुड़े लोगों का दावा है कि पीडीपी ने जब 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ पीडीपी और बीजेपी का गठजोड़, कुछ लोगों को नागवार गुजरा. इसे लेकर स्थानीय लोग अब भी नाराज हैं.
पूर्व विधायक सूफी यूसुफ, इसी सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. ज्यादातर लोगों का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बीच ही टक्कर है. पीडीपी का फोकस है कि वह अपनी सरकार के विकास को गिना रही है, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस का फोकस 10 साल के संघर्षों पर है. यह चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है.