Jairam Ramesh New Parliament Building: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने नए संसद भवन को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. सदन का विशेष सत्र समाप्त हो चुका है और अब कांग्रेस नेता ने पुरानी संसद के मुकाबले नई संसद की डिजाइन में कई खामियों का दावा किया है. जयराम रमेश ने कहा कि पुरानी संसद के मुकाबले नई संसद में ना तो सदस्यों के बीच बातचीत और मेल जोल की जगह है, ना ही कर्मचारियों को काम करने में सुविधा हो रही है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि इतने प्रचार के साथ लॉन्च किया गया नया संसद भवन वास्तव में पीएम के उद्देश्यों को को अच्छी तरह से साकार करता है. इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद नए संसद भवन के बेहतर उपयोग का रास्ता ढूंढा जाएगा. सदन की कार्यवाही के बाद मैंने देखा है, 'संसद में एक-दूसरे से संवाद की जगह नहीं बची है. ऐसा संसद के दोनों सदनों और परिसर में है.'
The new Parliament building launched with so much hype actually realises the PM's objectives very well. It should be called the Modi Multiplex or Modi Marriot. After four days, what I saw was the death of confabulations and conversations—both inside the two Houses and in the…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 23, 2023
जयराम रमेश का कहना है कि यदि आर्किटेक्चर लोकतंत्र को मार सकती है तो पीएम मोदी ने बिना लिखे संविधान को खत्म करने में सफलता हासिल कर ली है. नई संसद में सदस्यों के बीच दूरी का दावा कर उन्होंने कहा कि यहां बैठने वाले सदस्यों को एक दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि हॉल आरामदायक या कॉम्पैक्ट नहीं है. पुराने संसद भवन की खूबियों का जिक्र करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि पुरानी संसद में अपनी एक अलग खूबसूरती थी. वहां सदस्यों के बीच संवाद की सुविधा भी थी. दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल या संसद के गलियारों में घूमना भी आसान था. नई संसद इस जुड़ाव को खत्म करता है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया है कि पुरानी संसद में अगर कोई खो जाता था तो वो आसानी से रास्ता खोज लेता था क्योंकि उसका आकार गोलाकार था. जबकि नई संसद भूल भुलैया है. इसमें खो जाने पर रास्ता नहीं मिलेगा. पुरानी संसद में अतिरिक्त जगह और खुलापन है, जबकि नई संसद कॉम्पैक्ट है. नई संसद में घूमने का आनंद खत्म हो गया है. पुराने संसद भवन में जाने के लिए मैं हमेशा उत्सुक रहता था, लेकिन नई सांसद आरामदायक नहीं है. जयराम रमेश ने बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के सांसदों को भी इसी तरह की परेशानी का सामना करने का संकेत देते हुए कहा, ''मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि पार्टी लाइन से परे संसद के कई सहकर्मी भी ऐसा महसूस करते हैं.''
यह भी पढ़ें: Weather Update: दिल्ली से लेकर यूपी तक बारिश के आसार, जानें अन्य प्रदेशों के मौसम का हाल
पढ़ें देश से जुड़ी अन्य बड़ी खबरें