भारत ने पाकिस्तान- चीन को एक साथ दिया झटका! UN शांति सैनिक सम्मेलन में नहीं किया इनवाइट
भारत अक्टूबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक योगदानकर्ता देशों (TCC) प्रमुखों का सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है. 30 से अधिक देशों के सेना प्रमुख इसमें शामिल होंगे, लेकिन पाकिस्तान और चीन को आमंत्रित नहीं किया गया है.
India to host UN peacekeepers meet: नई दिल्ली अक्टूबर में एक बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजन का गवाह बनने जा रहा है. भारत पहली बार संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक योगदानकर्ता देशों के सेना प्रमुखों और वरिष्ठ अधिकारियों की मेजबानी करेगा. इस सम्मेलन में 30 से ज्यादा देश हिस्सा लेंगे, लेकिन पाकिस्तान और चीन को आमंत्रण न देना इसे एक रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम बनाता है.
सम्मेलन से पाकिस्तान और चीन की गैरमौजूदगी एक साफ संकेत देती है कि भारत आतंकवाद और सीमाई तनाव से जुड़े देशों को अलग-थलग करने की नीति पर कायम है. खासकर पहलगाम हमले के बाद, जब भारत ने पाकिस्तान पर सख्त कूटनीतिक और सैन्य कार्रवाई की थी- इंडस वॉटर ट्रीटी को खत्म करना, हवाई और समुद्री रास्ते बंद करना और आतंकी ढांचे पर प्रहार करना, उसके बाद इस सम्मेलन में उन्हें बाहर रखना एक प्रतीकात्मक लेकिन अहम कदम है. चीन का बहिष्कार भी यह दर्शाता है कि भारत उसकी नीतियों और पाकिस्तान के समर्थन को लेकर सतर्क है.
भारत की शांति सेना में भूमिका और योगदान
भारत संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है. 1950 से अब तक भारत ने 49 मिशनों में दो लाख से अधिक सैनिक भेजे हैं और 179 सैनिकों ने शांति के लिए अपने प्राण न्योछावर किए हैं. वर्तमान में भारतीय सैनिक लेबनान, सूडान, दक्षिण सूडान, कांगो और गोलान हाइट्स जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों में तैनात हैं. लगभग 2,400 सैनिक केवल दक्षिण सूडान में ही डटे हुए हैं. यह आंकड़े बताते हैं कि भारत शांति स्थापना को केवल कूटनीति का हिस्सा नहीं मानता बल्कि अपने सैनिकों के बलिदान से इसे निभाता आया है.
पड़ोसी देशों के साथ संतुलन
जहां पाकिस्तान और चीन को आमंत्रित नहीं किया गया, वहीं बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों को इस सम्मेलन में जगह मिली है. यह कदम भारत की क्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत करता है. हालांकि, तुर्की ने पाकिस्तान के समर्थन में निमंत्रण ठुकरा दिया. इसके बावजूद भारत ने 70 देशों के राजदूतों को सबूतों के साथ ब्रीफ किया, जिससे उसकी स्थिति और मजबूत हुई. यह दर्शाता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने पक्ष को मजबूती से रख रहा है और दुनिया के बड़े हिस्से से उसे समर्थन भी मिल रहा है.
शांति की नई रणनीति और भविष्य की दिशा
यह सम्मेलन केवल अनुभव साझा करने का मंच नहीं होगा, बल्कि वैश्विक शांति अभियानों के लिए नई रणनीतियां बनाने का अवसर भी बनेगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि भारतीय सैनिक केवल संयुक्त राष्ट्र के अधीन चल रहे अभियानों में ही हिस्सा लेंगे, न कि यूक्रेन या गाजा जैसे विवादों में. यह नीति भारत की संतुलित विदेश रणनीति को दर्शाती है- जहां वह वैश्विक जिम्मेदारी निभा रहा है, वहीं अपने राष्ट्रीय हितों की भी रक्षा कर रहा है.