India-Russia relations: आज प्रधानमंत्री मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात होने वाली है. पूरी दुनिया की नजर इस पर है. यह बैठक हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ उनकी फोन पर हुई बातचीत और रूसी तेल की खरीद पर दिल्ली पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के ट्रम्प के फैसले को लेकर हो रही है.
तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन अपने दूसरे और अंतिम दिन में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में सभी की निगाहें आज बाद में जारी होने वाले समूह के संयुक्त घोषणापत्र पर टिकी हैं. खासकर इस बात पर कि क्या इसमें पहलगाम आतंकी हमलों का जिक्र होगा.
कुछ महीने पहले एससीओ के रक्षा मंत्रियों के संयुक्त घोषणापत्र में इन हमलों का जिक्र नहीं था, बल्कि बलूचिस्तान का ज़िक्र था, जिसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था. अब तक भारत के लिए संकेत आशावादी रहे हैं, जिसमें पहले दिन ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाना सुर्खियों में रहा, तथा जब मोदी ने सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया तो शी ने समर्थन जताया.
हालांकि, आज सबसे अधिक ध्यान प्रधानमंत्री मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ होने वाली बैठक पर रहेगा, जो हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ उनकी फोन पर हुई बातचीत तथा रूसी तेल की खरीद पर दिल्ली पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के ट्रम्प के फैसले की पृष्ठभूमि में हो रही है.
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात अमेरिका द्वारा रूसी तेल की खरीद के दंड स्वरूप भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद हो रही है. इस द्विपक्षीय वार्ता में ट्रंप के व्यापार युद्ध और यूक्रेन में रूस के चल रहे युद्ध पर चर्चा होने की उम्मीद है और यह इस साल के अंत में पुतिन की भारत यात्रा का मार्ग भी प्रशस्त करेगी.
2. शिखर सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण बिंदु संयुक्त घोषणापत्र है, जिसके बारे में भारत को उम्मीद है कि इसमें सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा शामिल होगी. सकारात्मक बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग के साथ सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया, जिन्होंने इसका समर्थन किया. आज के संयुक्त घोषणापत्र में इसका क्या प्रभाव पड़ता है, यह देखना बाकी है. सकारात्मक बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग के साथ सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया, जिन्होंने इसका समर्थन किया. आज के संयुक्त घोषणापत्र में इसका क्या प्रभाव पड़ता है, यह देखना बाकी है.
3. एक और दिलचस्प बात यह होगी कि क्या सदस्य देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध पर कड़ी भाषा का इस्तेमाल करेंगे. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एससीओ संयुक्त घोषणापत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध की आलोचना भी शामिल होगी, जो अमेरिका और भारत, चीन और रूस सहित कई एससीओ सदस्य देशों के बीच तनाव को दर्शाता है. इंडोनेशियाई और मलेशियाई नेताओं की उपस्थिति से गाजा में इजराइल की कार्रवाई की निंदा भी हो सकती है.
4. एससीओ शिखर सम्मेलन भारत-पाकिस्तान संबंधों के एक नाज़ुक दौर में हो रहा है. पहलगाम हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिससे एक संक्षिप्त संघर्ष छिड़ गया. शिखर सम्मेलन के नेताओं की एक हर्षोल्लासपूर्ण एससीओ पारिवारिक तस्वीर से, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी अग्रिम पंक्ति में तुर्की के रेचेप तैयप एर्दोआन और पाकिस्तान के शहबाज शरीफ के साथ बैठे हैं, आज के घटनाक्रम पर पैनी नजर रहेगी क्योंकि नेता आमने-सामने मिलेंगे, खासकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने को देखते हुए.
5. प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही 25वें एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे. विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, वह एससीओ ढांचे के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करेंगे.