नई दिल्ली: भारत में पहली बार डिजिटल और जाति आधारित जनगणना की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए आज से जनगणना 2027 के पहले चरण का प्री-टेस्ट शुरू हो रहा है. यह पूर्व परीक्षण स्व-गणना यानी Self Enumeration प्रणाली की प्रभावशीलता जांचने के लिए किया जा रहा है. कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित जनगणना 2021 को अब 2027 में आयोजित किया जाएगा, जिसकी अंतिम गिनती 1 अप्रैल 2026 से 28 फरवरी 2027 के बीच पूरी होगी.
सरकार ने इस बार जनगणना प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाने का निर्णय लिया है. इसके तहत लोग ऑनलाइन पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से स्वयं अपनी जानकारी भर सकेंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पहल देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी और इसमें स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे.
प्री-टेस्ट का संचालन 1 से 10 नवंबर और 10 से 30 नवंबर के बीच सीमित क्षेत्रों में किया जाएगा. इस दौरान गणनाकर्मी (एन्यूमरेटर) चयनित घरों का दौरा करेंगे और नागरिकों को ऑनलाइन जानकारी भरने में सहायता करेंगे. परीक्षण के लिए लिंक केवल चुने हुए प्रतिभागियों को ही दिया जाएगा, ताकि उपयोगिता परीक्षण बिना किसी तकनीकी रुकावट के पूरा हो सके.
अधिकारियों ने बताया कि इस चरण में घरों से संबंधित लगभग 30 प्रश्न पूछे जाएंगे. इनमें भवन की संख्या, छत और फर्श की सामग्री, परिवार प्रमुख का नाम और लिंग, घर में रहने वाले सदस्यों की संख्या, पेयजल स्रोत, बिजली व्यवस्था, शौचालय की उपलब्धता, खाना पकाने का ईंधन, टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल और वाहन जैसी सुविधाओं की जानकारी शामिल होगी.
रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त ने 16 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की थी कि हाउस लिस्टिंग एंड हाउसिंग जनगणना (HLO) का यह पूर्व परीक्षण देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चयनित इलाकों में किया जाएगा. स्व-गणना की सुविधा 1 से 7 नवंबर तक उपलब्ध रहेगी, जबकि 10 से 30 नवंबर तक फील्ड एन्यूमरेशन का चरण चलेगा.
अधिकारियों के अनुसार, एन्यूमरेटर पहले नागरिकों को पोर्टल का पता देंगे ताकि वे स्वयं डेटा दर्ज कर सकें. इसके बाद वे उन्हीं घरों में दोबारा जाकर जानकारी की पुष्टि करेंगे. सभी डेटा जनगणना प्रबंधन एवं निगरानी प्रणाली से जोड़ा गया है, ताकि पारदर्शिता और सटीकता बनी रहे. सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट नहीं किया जाएगा. NPR का अंतिम संशोधन वर्ष 2015-16 में किया गया था. जाति आधारित प्रश्नों की अंतिम रूपरेखा फिलहाल तैयार नहीं है, लेकिन यह अभ्यास डिजिटल जनगणना प्रणाली को परखने का पहला बड़ा कदम माना जा रहा है.