विश्व दृष्टि दिवस 2025 से पहले जारी एक नए शोध के अनुसार, स्कूलों में नेत्र जांच और तत्काल चश्मा वितरण जैसे बुनियादी नेत्र स्वास्थ्य उपायों में निवेश कर भारत अपनी अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष 3.6 लाख करोड़ रुपये जोड़ सकता है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (IAPB), सेवा फाउंडेशन और फ्रेड हॉलोज फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित "वैल्यू ऑफ विजन" रिपोर्ट के अनुसार, नेत्र स्वास्थ्य में प्रति 1 रुपये के निवेश पर 16 रुपये का आर्थिक लाभ मिल सकता है.
70 करोड़ लोग आंखों की ऐसी परेशानी से जूझ रहे हैं जिसे रोका जा सकता है
रिपोर्ट का अनुमान है कि 22,100 करोड़ रुपये के निवेश से भारत को 3.6 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक आर्थिक लाभ हो सकता है. इसमें उत्पादकता में 2.27 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि, 78,700 करोड़ रुपये की रोजगार वृद्धि और 40,800 करोड़ रुपये की देखभाल लागत में कमी शामिल है. भारत में लगभग 70 करोड़ लोग ऐसी दृष्टि हानि के साथ जी रहे हैं, जिसे रोका जा सकता है. यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत आय और शिक्षा को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और देखभाल के बोझ को भी बढ़ाती है, खासकर महिलाओं पर.
आई केयर इंफ्रास्ट्रक्चर से उड़ान भरेगी भारत की इकोनॉमी
IAPB के सीईओ पीटर हॉलैंड ने कहा, "नेत्र जांच, चश्मा वितरण और मोतियाबिंद सर्जरी जैसे किफायती उपायों से अधिकांश दृष्टि हानि को रोका जा सकता है. यह न केवल स्वास्थ्य सुधार है, बल्कि भारत के भविष्य में निवेश है." मिशन फॉर विजन, भारत की मुख्य कार्यकारी एलिजाबेथ कुरियन ने जोर देकर कहा कि नेत्र देखभाल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना भारत के दीर्घकालिक विकास और समावेशन लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है.
चश्मा मिलने के बाद 19 साल की तुला ने फिर से शुरू की पढ़ाई
रिपोर्ट में महाराष्ट्र के 19 वर्षीय तुला की कहानी का उल्लेख है, जिन्हें स्थानीय नेत्र शिविर में चश्मा मिलने के बाद अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने का मौका मिला. यह उदाहरण दर्शाता है कि बुनियादी नेत्र देखभाल जीवन और आजीविका को कैसे बदल सकती है. रिपोर्ट में छह प्रमुख प्राथमिकताएं दी गई हैं: सामुदायिक जांच, तत्काल चश्मा वितरण, आई हेल्थ टास्क फोर्स का विस्तार, सर्जिकल उत्पादकता में सुधार, लागत और सामाजिक कलंक जैसे अवरोधों को कम करना, और मोतियाबिंद सर्जरी के मानकों को बढ़ाना.
लव योर आइज़: एक वैश्विक मुहिम
वैश्विक स्तर पर लगभग 1 अरब लोग ऐसी दृष्टि हानि से जूझ रहे हैं, जिसे रोका जा सकता है. IAPB की "लव योर आइज़" मुहिम व्यक्तियों और संस्थानों से नियमित नेत्र जांच को प्राथमिकता देने और इसे राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में शामिल करने का आग्रह करती है. हॉलैंड ने कहा, "नियमित नेत्र जांच आर्थिक उत्पादकता, शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने का सबसे सरल और किफायती तरीका है."