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इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख से घिरे दिल्ली समेत भारत के ये राज्य, जानें कब मिलेगी राहत; IMD ने दिया अपडेट

इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी की राख रेड सी पार कर भारत के कई राज्यों तक पहुंच गई. IMD ने बताया कि यह राख 7.30 बजे तक भारत से निकलकर चीन की ओर बढ़ जाएगी.

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Edited By: Km Jaya
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Courtesy: @ShadabPost x account

नई दिल्ली: भारत के कई राज्यों में फैली ज्वालामुखी राख को लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने बड़ा अपडेट जारी किया है. यह राख इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित लंबे समय से निष्क्रिय ज्वालामुखी हेली गुब्बी के फटने के बाद वायुमंडल में फैली थी. फिलहाल IMD का कहना है कि स्थिति चिंताजनक नहीं है और राख अगले कुछ घंटों में भारत से आगे बढ़ जाएगी.

विस्फोट के बाद राख का घना गुबार रेड सी को पार करते हुए यमन और ओमान की दिशा में बढ़ा और फिर अरब सागर के ऊपर से होता हुआ भारत में दाखिल हो गया. दिल्ली में यह राख सोमवार रात करीब 11 बजे पहुंची जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई. मौसम एजेंसियों ने बताया कि यह राख गुजरात, राजस्थान, दिल्ली एनसीआर, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में प्रभाव डाल रही है.

कहां-कहां होगा इसका असर?

इंडियामेटस्काई वेदर के अनुसार आने वाले घंटों में इसका असर हिमालयी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के तराई इलाके तक भी देखने को मिल सकता है. इस राख के गुबार में सल्फर डाइऑक्साइड, महीन धूल कण और ज्वालामुखीय चट्टानों के सूक्ष्म कण मौजूद हैं जो उच्च स्तर की हवाओं के साथ तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं.

उत्तर भारत में कैसी है स्थिति?

उत्तर भारत के ऊपर यह राख का बादल 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहा है और 15,000 से 25,000 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. कुछ क्षेत्रों में यह गुबार 45,000 फीट तक भी पहुंच रहा है जिससे विमान सेवाओं पर असर पड़ रहा है. DGCA ने एयरलाइंस को सलाह जारी की है कि राख की वजह से उड़ानों में देरी या बदलाव संभव है.

राख का बादल भारत से कब निकलेगा?

IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि राख का यह विशाल गुबार अब भारत से आगे चीन की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह राख मंगलवार शाम लगभग 7.30 बजे तक भारत से पूरी तरह निकल जाएगी. इससे मॉडल्स के अनुसार दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में राख का असर धीरे-धीरे कम होगा.

IMD ने पहले बताया था कि अफार क्षेत्र के ज्वालामुखी से उठी राख लगभग 45,000 फीट तक पहुंच गई थी. मौसम विभाग लगातार सैटेलाइट इमेज और वॉल्केनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर्स की रिपोर्ट पर नजर बनाए हुए है. राख के असर को देखते हुए कई उड़ानें 24 और 25 नवंबर के लिए रद्द कर दी गई हैं.

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