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India Daily

ऑनलाइन गेमिंग से आतंकवाद की राह, कैसे पाकिस्तानी हैंडलर्स ने मोबाइल गेम से राजस्थान के शख्स को फंसाया

सोहैल की कहानी ऑनलाइन गेमिंग मंचों के दुरुपयोग और कट्टरपंथी नेटवर्क्स के खतरे को उजागर करती है. यह घटना डिजिटल युग में युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है. एटीएस की यह कार्रवाई समाज में जागरूकता बढ़ाने और ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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Edited By: Mayank Tiwari
Pakistani Handlers
Courtesy: Social Media

भारत के हजारों युवाओं की तरह, राजस्थान के भीलवाड़ा के 23 वर्षीय मोहम्मद सोहैल भिश्ती भी ऑनलाइन गेमिंग के दीवाने थे. लोकप्रिय बैटल रॉयल गेम फ्री फायर, जो विश्व भर के खिलाड़ियों को एक-दूसरे से जोड़ता है, सोहैल का पसंदीदा खेल था. लेकिन, इस शौक ने उसे धीरे-धीरे कट्टरपंथ की ओर धकेल दिया. पिछले साल सितंबर में सोहैल की गिरफ्तारी ने न केवल उसकी कहानी को उजागर किया, बल्कि उन विदेशी ऑनलाइन नेटवर्क्स की भी पोल खोली, जो भारतीय युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की ओर आकर्षित कर रहे हैं.

ऑपरेशन आतंकवाद निरोधक दस्ते की कार्रवाई

राजस्थान के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सोहैल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देना या उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया. एटीएस ने जयपुर सत्र न्यायालय में अपनी चार्जशीट दाखिल की, जिसमें सोहैल की गतिविधियों और विदेशी नेटवर्क्स की जानकारी दी गई. इस मामले की सुनवाई 16 जुलाई से शुरू होगी.

गेमिंग से कट्टरपंथ की ओर

सोहैल का फ्री फायर गेम से जुड़ाव उसे उन एन्क्रिप्टेड चैट ग्रुप्स तक ले गया, जो कथित तौर पर पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से संचालित कट्टरपंथी नेटवर्क्स से जुड़े थे. एटीएस के अनुसार, सोहैल 60 से अधिक ऐसे ऑनलाइन ग्रुप्स का हिस्सा था और कई में वह प्रशासक की भूमिका में था. ये ग्रुप्स गेमिंग मंचों के रूप में सक्रिय थे, लेकिन वास्तव में भारत विरोधी प्रचार फैलाने का काम कर रहे थे. सोहैल ने पाकिस्तानी फोन नंबरों से संपर्क स्थापित किया, जिनके नाम उसके फोन में "हमीद मुस्तफा", "महबूब अली" और "पीके रावलपिंडी" के रूप में दर्ज थे. अधिकारियों का मानना है कि ये संपर्क सीमा पार से संचालित डिजिटल सेल्स से जुड़े थे.

मुजाहिद मियां' की ऑनलाइन गतिविधियां

एटीएस का दावा है कि सोहैल ने 'मुजाहिद मियां' के छद्म नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाया, जिसमें तालिबान लड़ाकों की तस्वीरें, बाबरी मस्जिद, जामा मस्जिद और 2022 के अमरावती दंगों से संबंधित भड़काऊ सामग्री थी. फोरेंसिक टीमों ने उनके उपकरणों से बरामद वीडियो में सांप्रदायिक रूप से उत्तेजक सामग्री पाई गई. सोहैल इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी सक्रिय थे. फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की 28 फरवरी 2024 की रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि की.

सोहैल ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कई मोबाइल डिवाइस और सिम कार्ड का उपयोग किया. वह एक फोन से हॉटस्पॉट चालू करता और दूसरे से वीडियो अपलोड करता, ताकि उसका आईपी पता सुरक्षित रहे. एक खाते से अपलोड किए गए वीडियो को उनके अन्य खातों से 'लाइक्स' और 'बूस्ट' देकर कृत्रिम रूप से प्रचारित किया जाता था.एटीएस के अनुसार, सोहैल का कट्टरपंथ उन सोशल मीडिया प्रोफाइल्स से प्रभावित था, जो खुद को पाकिस्तानी महिलाओं के रूप में पेश करती थीं. इन खातों में इस्लामी सैन्य रैंकों जैसे "कमांडर" या "सिस्टर इन आर्म्स" जैसे नाम थे. इन प्रोफाइल्स के साथ अंग्रेजी में हुई बातचीत में भारत विरोधी सामग्री शामिल थी.

सोहेल का पारिवारिक और सामाजिक जीवन

सोहेल भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में रहते थे, जो एक अर्ध-शहरी क्षेत्र है. उनके पिता एक हाउस पेंटर हैं. सोहैल ने सरकारी स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई की थी और एक ऑटो पार्ट्स की दुकान पर 8,000 रुपये मासिक वेतन पर काम करते थे. उनकी सगाई मध्य प्रदेश की एक महिला से हुई थी, जो उनकी गिरफ्तारी से मात्र 15 दिन पहले हुई थी. अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है कि उनके परिवार या मंगेतर को उनकी ऑनलाइन गतिविधियों की जानकारी थी.जांच का समयरेखा15 सितंबर 2023: एटीएस ने हफ्तों की निगरानी और डिजिटल ट्रैकिंग के बाद सोहैल को उनके भीलवाड़ा स्थित आवास से गिरफ्तार किया.

28 फरवरी 2024: एफएसएल ने सोहैल के मोबाइल उपकरणों और डिजिटल फुटप्रिंट का विश्लेषण पेश किया.
11 मार्च 2024: राजस्थान सरकार ने यूएपीए और आईपीसी के तहत मुकदमा चलाने की औपचारिक अनुमति दी, इसे संवेदनशील मामला घोषित किया.
2 जून 2025: एटीएस ने जयपुर सत्र न्यायालय में विस्तृत चार्जशीट दाखिल की, जिसमें बयान, फोरेंसिक विश्लेषण और डिजिटल साक्ष्य शामिल हैं.