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Gujarat suicide case: कर्ज लेकर खरीदा था ऑटो रिक्शा, नहीं चुका पाया EMI तो पत्नी और तीन बच्चों संग कर ली आत्महत्या

गुजरात के अहमदाबाद जिले के बागोदरा में एक खौफनाक घटना सामने आई है. एक दंपत्ति और उनके तीन बच्चों की संदिग्ध सामूहिक आत्महत्या के मामले में मृत्यु हो गई.

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Edited By: Garima Singh
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Courtesy: x

Gujarat suicide case: गुजरात के अहमदाबाद जिले के बागोदरा में एक खौफनाक घटना सामने आई है. एक दंपत्ति और उनके तीन बच्चों की संदिग्ध सामूहिक आत्महत्या के मामले में मृत्यु हो गई. प्रारंभिक जांच के मुताबिक, माता-पिता ने अपने बच्चों को जहर देने के बाद स्वयं आत्महत्या कर ली. इस दुखद घटना ने आर्थिक तंगी और मानसिक दबाव के गंभीर परिणामों पर सवाल खड़े किए हैं.

आज सुबह बागोदरा के एक किराए के मकान में विपुल वाघेला (32), उनकी पत्नी सोनल वाघेला (26), और उनके तीन बच्चों—करीना (11), मयूर (8), और प्रिंसी (5) के शव मिले. पुलिस को सूचना मिलने पर तुरंत एम्बुलेंस मौके पर पहुंची, लेकिन अस्पताल ले जाने पर सभी को मृत घोषित कर दिया गया. शव दो खाटों पर पाए गए, और पुलिस ने उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. जांच अधिकारी ने बताया कि इस मामले की गहन जांच की जा रही है ताकि घटना के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके.

आर्थिक तंगी बनी संभावित वजह

रिश्तेदारों के अनुसार, विपुल वाघेला ऑटो-रिक्शा चालक थे और परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य थे. धोलका के मूल निवासी यह परिवार बागोदरा में किराए के मकान में रहता था. विपुल ने लोन पर ऑटो-रिक्शा खरीदा था, जिसकी ईएमआई चुकाने में उन्हें भारी परेशानी हो रही थी. एक रिश्तेदार ने बताया, "आर्थिक तंगी के कारण वह काफी दबाव में रहता था. हो सकता है कि इन्हीं परेशानियों के चलते उसने यह फैसला लिया हो." परिवार के करीबी लोगों का मानना है कि कर्ज का बोझ और आर्थिक संकट ने विपुल को ये कदम की ओर धकेल दिया.

पुलिस की कार्रवाई और जांच

पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और सभी पहलुओं की जांच कर रही है. शवों के पोस्टमॉर्टम से यह स्पष्ट होने की उम्मीद है कि मृत्यु का कारण जहर था या कोई अन्य वजह. स्थानीय पुलिस ने बताया कि परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों से पूछताछ की जा रही है ताकि इस घटना के पीछे की परिस्थितियों को समझा जा सके.

सामाजिक चिंता और जागरूकता की जरूरत

यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज में आर्थिक तंगी और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता को दर्शाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर सहायता और परामर्श ऐसी घटनाओं को रोक सकता है. सरकार और सामाजिक संगठनों को कर्ज के बोझ तले दबे लोगों के लिए बेहतर सहायता प्रणाली विकसित करने की जरूरत है.