GBS Treatment and Symptoms: महाराष्ट्र के पुणे जिले में इन दिनों गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का प्रकोप जारी है. जिसमें से ज़्यादातर मामला पुणे के सिंहगढ़ रोड इलाके का बताया जा रहा हैं. अब तक इस बीमारी में 67 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके कारण लोगों में चिंता और भय का माहौल है. हालांकि ऐसे समय पर पुणे की न्यूरोलॉजिकल सोसायटी ने लोगों से ना घबराने की अपील की है . साथ उन्हें Do and Don't के बारे में बताया गया है.
डॉक्टरों द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश की मदद से लोग इस दुर्लभ बीमारी से बच सकते हैं. जो हर साल लगभग 1 लाख लोगों में 0.1-2 लोगों को होती है. इस बीमारी के होने से पहले रोगियों में दस्त या श्वसन संबंधी लक्षण (खांसी, जुकाम आदि) भी देखा जाता है. इस तरह के प्रकोप अक्सर जीवाणु या वायरल संक्रमण से जुड़े होते हैं. हालांकि अभी इसे लेकर अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है. जबकि न्यूरोलॉजिस्ट और अन्य डॉक्टर प्रभावित रोगियों का इलाज करने में जुटे हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि GBS एक दुर्लभ लेकिन उपचार योग्य न्यूरोलॉजिकल स्थिति है. इसकी वजह से ऊपरी और निचले अंगों, गर्दन, चेहरे और आंखों में कमज़ोरी, झुनझुनी या सुन्नता, चलने, निगलने या गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई होती है. बीमारी अक्सर अचानक शुरू होती है और चार सप्ताह में बढ़ सकती है. कुछ रोगियों में तेज़ी से स्थिति बिगड़ सकती है, जबकि अन्य में धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ सकती है. गंभीर मामलों में आईसीयू में भर्ती होने और वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है. हालांकि अभी तक ये बीमारी कहां से आती है इसका पता नहीं चल पाया है लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों को 'कैम्पिलोबैक्टर' संक्रमण से इसका संबंध होने का संदेह है. जो अक्सर गंदे पानी और खाने के माध्यम से फैलता है.