Bihar Assembly Elections 2025

पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी का आरोप, पुलिस के बल पर लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं चंद्रबाबू नायडू

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मौजूदा मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर पुलिस तंत्र के दुरुपयोग और विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि राज्य में लोकतंत्र को कुचला जा रहा है और विरोध करने वालों पर फर्जी केस किए जा रहे हैं.

Imran Khan claims
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वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शनिवार को आंध्र प्रदेश की मौजूदा टीडीपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को एक तानाशाह की तरह कार्य करने वाला बताया और दावा किया कि राज्य में हर तरह की असहमति को पुलिस के बल पर दबाया जा रहा है. उन्होंने यह बयान अपने राज्यभर के दौरों के दौरान हुई घटनाओं के हवाले से दिया.

जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि विरोध, सवाल और एकत्र होने का अधिकार लोकतंत्र की नींव होते हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश में यह अधिकार खत्म होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी यात्राओं और जनसंपर्क अभियानों के दौरान सरकार ने जानबूझकर फर्जी मुकदमे दर्ज किए, लोगों को हिरासत में लिया और पार्टी कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए नोटिस जारी किए. यह सब लोकतंत्र को दबाने और विपक्ष को डराने की रणनीति का हिस्सा है.

सरकारी दमन की घटनाएं

जगन ने अपनी विभिन्न यात्राओं का जिक्र किया- जैसे गंटूर मिर्ची यार्ड (19 फरवरी), रामगिरी (8 अप्रैल), पोडिली (11 जून), सत्तेनपल्ली (18 जून), और बंगारुपल्यम (9 जुलाई). उन्होंने बताया कि यह सब दौरे किसानों की समस्याओं को उठाने के लिए किए गए थे, लेकिन उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए. कुछ मामलों में किसानों को भी जेल भेजा गया और कुछ को अदालत ने बाद में राहत दी. उन्होंने कहा कि प्रशासन विरोधियों को डराने के लिए पुलिस और कानून का दुरुपयोग कर रहा है.

पुलिसिया कार्रवाई और दमन की रणनीति

वाईएसआरसीपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि पुलिस विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को कार्यक्रमों में शामिल होने से रोकने के लिए पहले से ही नोटिस भेजती है और कई बार उन्हें घर में नजरबंद भी कर देती है. आम नागरिकों, यहां तक कि किसानों को भी चेकपोस्ट पर रोका जाता है, पूछताछ की जाती है और वीडियोग्राफी की जाती है. उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज, सार्वजनिक आयोजनों पर पाबंदी और फर्जी केस ये सब इस बात के संकेत हैं कि सरकार लोकतंत्र की आवाज को दबा रही है.

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