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'आतंकवादी हमलों के लिए राज्य का दर्जा ज़िम्मेदार नहीं', SC द्वारा पहलगाम का हवाला दिए जाने पर जम्मू-कश्मीर पर बोले फारूक अब्दुल्ला

यह फैसला गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले का हवाला दिए जाने के बाद आया है.

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Mayank Tiwari

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर प्रतिक्रिया दी है. इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब यह एक राज्य था तब भी वहां आतंकवादी हमले हुए थे और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारत के अपने पड़ोसियों के साथ "अच्छे संबंध" नहीं हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में आतंकवादी हमलों के लिए राज्य जिम्मेदार नहीं है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "कोई भी कुछ कमजोर नहीं कर सकता. ये (आतंकी हमले) तब भी हुए थे जब यह एक राज्य था. ऐसा नहीं है कि सिर्फ राज्य का दर्जा इसके लिए जिम्मेदार है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे अच्छे संबंध नहीं हैं. वे (आतंकवादी) वहां से आते हैं. अगर वे राज्य के दर्जे और पहलगाम हमले की बात कर रहे हैं, तो उन्हें याद रखना चाहिए कि मेरे कार्यकाल में भी कई घटनाएं हुईं, लेकिन तब यह एक राज्य था.

लोगों को उम्मीद है कि SC मामले का लेगा संज्ञान 

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा, "हमने उस समय इसका सामना किया... लोगों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसका संज्ञान लेगा और हमारे अधिकारों को बहाल करेगा, जैसा कि सरकार ने संसद के अंदर और बाहर वादा किया है..."

सुप्रीम कोर्ट ने क्या की टिप्पणी!

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (14 अगस्त) को 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का हवाला देते हुए कहा कि जमीनी हकीकत का आकलन करना सरकार का विशेषाधिकार है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को निश्चित समयसीमा में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिका पर जवाब मांगा. सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं ज़हूर अहमद भट और खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से वरिष्ठ वकील ने दिसंबर 2023 में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया.

उन्होंने तर्क दिया कि कोर्ट ने राज्य के दर्जे के मुद्दे पर निर्णय इसलिए नहीं लिया था क्योंकि सॉलिसिटर जनरल ने चुनावों के बाद इसे बहाल करने का आश्वासन दिया था. इस पर, भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, "आपको जमीनी हकीकत को भी ध्यान में रखना होगा, और आप अप्रैल में पहलगाम में जो हुआ उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते. हमारे पास सारी विशेषज्ञता नहीं है, और कुछ निर्णय सरकार को लेने हैं.

जानिए पहलगाम में कब हुआ आतंकी हमला!

बीते 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक शामिल थे. इस हमले ने क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की गंभीरता को उजागर किया.