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Threat To Jammu Jails: जम्मू-कश्मीर की जेलों पर बड़े आतंकी हमले की आशंका! हाई अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां

Jammu Kashmir Jail Security: इन जेलों में कई बड़े और खतरनाक आतंकवादी और उनके साथी बंद हैं, जो आतंकवादियों को सैन्य सहायता, आश्रय और उनकी गतिविधियों में मदद करने के लिए जाने जाते हैं, भले ही वे सीधे हमलों में शामिल न हों.

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Ritu Sharma

Jammu Kashmir Jail Security: जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के बढ़ते खतरे के बीच सुरक्षा एजेंसियों ने जेलों पर संभावित हमले को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है. खुफिया सूत्रों ने चेताया है कि श्रीनगर सेंट्रल जेल और जम्मू की कोट बलवाल जेल जैसे हाई-सिक्योरिटी केंद्र आतंकियों के निशाने पर हो सकते हैं. इन जेलों में कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादी और स्लीपर सेल से जुड़े संदिग्ध कैदी बंद हैं.

सूत्रों के अनुसार, इन जेलों में बंद आतंकियों की भूमिका सीधे हमलों में भले ही न हो, लेकिन वे आतंकी नेटवर्क को सैन्य सहायता, पनाह और रसद सप्लाई देने में अहम भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियों ने संभावित हमले को गंभीरता से लिया है और तमाम जेलों की सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा की गई है.

एनआईए की पूछताछ और खुफिया अलर्ट

बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में संदिग्ध आतंकी सहयोगियों निसार और मुश्ताक से पूछताछ की. दोनों कथित रूप से सेना की गाड़ी पर हुए हमले से जुड़े हैं. सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में कुछ अहम सुराग मिले हैं जो आतंकियों के जेलों पर हमले की योजना की ओर इशारा करते हैं.

सीआईएसएफ ने संभाली मोर्चा, हाईलेवल बैठक

वहीं सीआईएसएफ के महानिदेशक ने रविवार को श्रीनगर में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक कर मौजूदा स्थिति का आकलन किया. गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में जम्मू-कश्मीर की जेलों की सुरक्षा का जिम्मा CRPF से लेकर CISF को सौंपा गया था. अब इन जेलों को अतिरिक्त सुरक्षा कवच दिया जा रहा है.

दक्षिण कश्मीर में छिपे हो सकते हैं आतंकी

एनआईए सूत्रों का मानना है कि पहलगाम हमले के बाद भी कुछ आतंकी दक्षिण कश्मीर के इलाकों में सक्रिय हो सकते हैं. 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में हुए हमले के दौरान इन आतंकियों के साथ कुछ और लोगों के मौजूद रहने का शक है, जो बैकअप देने के लिए साथ चल रहे थे.

आतंकी बना रहे सुरक्षा बलों के लिए चुनौती

इसके अलावा, हमलावर आतंकियों के बारे में बताया जा रहा है कि वे पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं. अपने साथ खाद्य सामग्री और जरूरी सामान लेकर चलते हैं, जिससे उन्हें लंबे समय तक जंगलों में टिके रहने में मदद मिलती है. यह रणनीति सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है.