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India Daily

एस जयशंकर 5 साल बाद बाद जाएंगे चीन, SCO मीटिंग में होंगे शामिल, साल 2020 में LAC में तनाव के बाद पहली यात्रा

विदेश मंत्री जयशंकर 14-15 जुलाई को होने वाली एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए तियानजिन जाने से पहले वांग यी के साथ वार्ता के लिए बीजिंग जाएंगे.

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Edited By: Mayank Tiwari
विदेश मंत्री एस जयशंकर
Courtesy: Social Media

विदेश मंत्री एस. जयशंकर जुलाई के तीसरे सप्ताह में चीन की यात्रा करेंगे. वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे और प्रमुख चीनी नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे. सूत्रों के अनुसार, यह यात्रा अप्रैल-मई 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लद्दाख क्षेत्र में शुरू हुए सैन्य गतिरोध के बाद भारत-चीन संबंधों के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद उनकी पहली चीन यात्रा होगी.

जयशंकर की बीजिंग और तियानजिन यात्रा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि जयशंकर 14 और 15 जुलाई को तियानजिन में एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में शामिल होने से पहले बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. यह बैठक भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य करने और लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद का समाधान खोजने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की चल रही बैठकों का हिस्सा होगी. “पिछले अक्टूबर में गतिरोध समाप्त करने की सहमति के बाद, जयशंकर ने वांग यी के साथ कई बहुपक्षीय आयोजनों के मौके पर मुलाकात की है,” सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया.

सीमा तनाव और डी-एस्केलेशन पर जोर

जयशंकर और वांग यी की चर्चा में एलएसी पर तनाव कम करने, सैनिकों को शांतिकालीन स्थानों पर वापस भेजने और व्यापार व जन-जन संपर्क जैसे क्षेत्रों में संबंध सामान्य करने के उपाय प्रमुख होंगे. हाल ही में दोनों पक्षों ने पांच साल बाद तिब्बत में कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनर्जनन करने पर सहमति जताई है. चीन ने व्यापार सामान्यीकरण और सीधी उड़ानों की बहाली पर जोर दिया है, जबकि भारत ने दुर्लभ पृथ्वी खनिजों पर चीन के निर्यात प्रतिबंधों और चीनी बाजारों तक अपर्याप्त पहुंच जैसे लंबित मुद्दों को उठाया है. सूत्रों ने बताया, “ये खनिज स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक में उपयोग होते हैं, और इनमें चीन का लगभग एकाधिकार है.

उच्च-स्तरीय बैठकों का सिलसिला

पिछले दिसंबर और जून में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल ने बीजिंग में एससीओ सुरक्षा परिषद सचिवों की बैठक में भाग लिया था. डोवल और वांग यी, जो सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि हैं, ने द्विपक्षीय बैठक भी की. इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया. सिंह ने अपने चीनी समकक्ष डोंग जुन के साथ मुलाकात में “स्थायी सहभागिता और डी-एस्केलेशन के लिए एक संरचित रोडमैप” और “सीमा परिसीमन का स्थायी समाधान” की मांग की.

एससीओ बैठक पर नजर

आगामी एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक पर सभी की नजर होगी, क्योंकि पिछले महीने की एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका था. भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख न करने पर पाकिस्तान के रुख का विरोध किया था. जयशंकर इस बैठक के मौके पर रूस और कई मध्य एशियाई देशों के समकक्षों के साथ भी द्विपक्षीय चर्चा करेंगे.

मोदी की संभावित चीन यात्रा

एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक आमतौर पर एससीओ शिखर सम्मेलन से एक महीने पहले होती है. इस साल के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की उम्मीद है, जो एलएसी पर सैन्य गतिरोध के बाद उनकी पहली चीन यात्रा होगी. यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है.