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'महाराष्ट्र चुनाव में भारी वोट चोरी, नतीजों ने संदेह की कर दी पुष्टि', राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट को लेकर किया बड़ा दावा

राहुल गांधी ने कहा महाराष्ट्र में पांच महीनों में पांच साल से ज़्यादा मतदाताओं के जुड़ने से हमारा शक और बढ़ा. फिर महाराष्ट्र में शाम पांच बजे के बाद मतदान में भारी उछाल आया. विधानसभा में हमारा गठबंधन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया और लोकसभा में हमारा गठबंधन पूरी तरह से हावी हो गया.

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Edited By: Garima Singh
Rahul Gandhi press confrence
Courtesy: X

Rahul Gandhi press confrence: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी दिल्ली के इंदिरा भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे हैं. राहुल गांधी ने गुरुवार को चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि आयोग ने विपक्ष को मशीन से रीड होने वाली वोटर लिस्ट उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया. जिससे विपक्ष को यह विश्वास हो गया है कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में चुनाव "चुराने" के लिए भाजपा के साथ मिलीभगत की है. महाराष्ट्र विधानसभा और लोकसभा चुनाव नतीजों पर सवाल उठाते हुए इसे 'संदिग्ध' बताया है. राहुल ने दावा किया कि महादेवपुरा विधानसभा में 1,00,250 'मतदाताओं की चोरी' हुई. 

महाराष्ट्र में पांच महीनों में पांच साल से ज़्यादा मतदाताओं के जुड़ने से हमारा शक और बढ़ा. फिर महाराष्ट्र में शाम पांच बजे के बाद मतदान में भारी उछाल आया. विधानसभा में हमारा गठबंधन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया और लोकसभा में हमारा गठबंधन पूरी तरह से हावी हो गया. ये और भी दिमाग हिलाने वाला फैक्ट था.

लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच बढ़ गए 1 करोड़ वोटर्स 

राहुल ने कहा कि 'हमने पाया कि लोकसभा और विधानसभा चुनवों के बीच एक करोड़ नए वोटर्स जुड़ गए. हम चुनाव आयोग गए और हमारे तर्क का सार यह था कि महाराष्ट्र चुनाव में चोरी हुई थी. समस्या की जड़ क्या है? मतदाता सूची इस देश की संपत्ति है. चुनाव आयोग हमें मतदाता सूची देने से इनकार कर रहा है और फिर उन्होंने कुछ बहुत ही दिलचस्प किया. उन्होंने कहा कि हम सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर देंगे.'

आयोग चुनावों और भाजपा की मिलीभगत 

राहुल ने आगे कहा, 'यह हमारे लिए आश्चर्यजनक था क्योंकि महाराष्ट्र में शाम साढ़े पांच बजे के बाद भारी मतदान के बारे में एक सवाल था ताकि संख्याओं का मिलान किया जा सके. हमारे लोग जानते थे कि मतदान केंद्रों पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था. शाम साढ़े पांच बजे के बाद भारी मतदान नहीं हुआ था. इन दो बातों ने हमें निश्चितता के साथ यह विश्वास दिलाया कि भारत का चुनाव आयोग चुनावों में दखलंदाजी करने के लिए भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहा था.'