EaseMyTrip के को-फाउंडर प्रशांत पिट्टी ने बेंगलुरु में ट्रैफिक पुलिस, बीबीएमपी और सिटी पुलिस कमिश्नर्स से मुलाकात कर और कहा कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था एक साल में 25-30% तक सुधार जा सकती है. उन्होंने अपने ₹1 करोड़ के बेंगलुरु ट्रैफिक प्रोजेक्ट को लेकर X पर अपडेट देते हुए लिखा, "बेंगलुरु ट्रैफिक प्रोजेक्ट पर बड़ा अपडेट! मुझे भरोसा है कि एक साल में ट्रैफिक 25-30% तक बेहतर हो जाएगा."
उन्होंने इसको लेकर एक विस्तृत सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा सिर्फ 10 दिनों में, BTP, BBMP, CP, Google टीम, IISC के प्रोफेसर, साइंटिस्ट, रोड इंजीनियर्स व ट्रैफिक से जुड़े एंटरप्रेन्योर्स से मुलाकात हुई है. तीनों नए कमिश्नर्स ने वर्तमान क्षमताओं को देखने और सहयोग के लिए आमंत्रित किया. पहली बार सभी सरकारी और निजी साझेदार एक ही टेबल पर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि BTP और IISC के पास ऐसे सिमुलेशन मॉडल हैं जो रीरूटिंग के लाखों विकल्प तैयार कर सकते हैं, और Google, Uber, Ola और Rapido से डेटा मांगा गया है ताकि ट्रैफिक को बेहतर ढंग से मोड़ा जा सके.
A) बेंगलुरु ट्रैफिक सिमुलेटर्स- BTP और IISC के पास ऐसे मॉडल हैं जो यात्रा के समय को कम करने के लिए रीरूटिंग विकल्प बना सकते हैं. गूगल, ऊबर, Ola और Rapido से डेटा मांगा गया है. कुछ ने सहयोग करने का भरोसा दिया है. अगर मॉडल काम करने लगे तो हम यह पहले से जान पाएंगे कि कहां और कब जाम लगेगा, और उसे समय पर ठीक कर सकेंगे.
B) फीडबैक लूप ठीक करना- सरकार के पास पहले से ऐप्स हैं जिनमें लोग गड्ढों की शिकायत कर सकते हैं. अब मैं उस ऐप की जिम्मेदारी लूंगा ताकि उसमें अवैध पार्किंग, खराब सिग्नल, उल्टी दिशा में गाड़ी चलाना, जलभराव, खराब वाहन आदि की रिपोर्टिंग भी हो सके. साथ ही शिकायत और उस पर की गई कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक रूप से दिखाई जाएगी.
C) हाइपरलोकल बारिश का पूर्वानुमान- जब सरकार किसी सड़क पर काम शुरू करती है, तब वहां बारिश हो जाती है और काम रुक जाता है. इससे ट्रैफिक बहुत बढ़ जाता है. बारिश का पूर्वानुमान लगाने वाला यह प्रोजेक्ट जल निकासी की समस्या को पहले ही पहचान कर सुधारने में मदद करेगा.
D) ग्रीन वेव सिग्नल्स- ट्रैफिक लाइट्स को एक साथ सिंक किया जाएगा ताकि गाड़ियां हर जंक्शन पर रुकने के बजाय वेव में आगे बढ़ सकें. इसका पायलट चल रहा है और नतीजों के आधार पर इसे पूरे शहर में लागू किया जा सकता है.
कई लोगों ने कहा कि बेंगलुरु का ट्रैफिक एक इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या है, यह सबको पता है. लेकिन अगर सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर के सुधरने का इंतजार करेंगे, तो हम हमेशा पश्चिमी देशों से पीछे रहेंगे. मौजूदा इंफ्रा में ही काफी सुधार की गुंजाइश है. अब ये सिस्टम को कोसने की बात नहीं, बल्कि डेटा, इरादे और सहयोग से असंभव को भी सुधारने की सोच है.
इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर अपील करते हुए लिखा कि अपना समर्थन जारी रखें, पोस्ट शेयर करें और कमेंट करें. जितना ज्यादा यह फैलाएंगे, उतने ही सही लोग इससे जुड़ सकेंगे. मैं लंबे समय के लिए इस प्रोजेक्ट में हूं- क्या आप भी हैं?. हमारे WhatsApp समुदाय से जुड़ें, जहां मैं नियमित अपडेट दूंगा. साथ ही हमें आपसे यह जानना है कि कौन से जंक्शन या सड़क पर आपको सबसे ज्यादा ट्रैफिक की समस्या होती है ताकि हम वो जानकारी सही अधिकारियों तक पहुंचा सकें.
गौरतलब है कि इससे पहले 14 जुलाई को प्रशांत पिट्टी ने बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या को AI और सैटेलाइट डेटा की मदद से हल करने के लिए ₹1 करोड़ देने की घोषणा की थी और सभी नागरिकों व अधिकारियों से इस पहल में साथ देने की अपील की थी. उन्होंने बताया कि एक रात बेंगलुरु में सिर्फ 11 किलोमीटर का सफर तय करने में उन्हें 2 घंटे 15 मिनट लग गए. सबसे बुरा समय Outer Ring Road (ORR) पर एक चोक-पॉइंट पर गुज़रा, जहां 100 मिनट तक फंसे रहे. वहां न कोई ट्रैफिक लाइट थी, न पुलिसकर्मी. उन्होंने लिखा 'मैं Google Maps और AI की मदद से बेंगलुरु के चोक-पॉइंट्स की पहचान के लिए ₹1 करोड़ देने का वादा करता हूं'