यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल हुई दीपावली, जानिए क्यों भारत के लिए है महत्वपूर्ण?
यूनेस्को ने दीपावली को 2025 के लिए अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया है. यह सूची में दर्ज होने वाला भारत का 16वां तत्व है, जिससे त्योहार की वैश्विक पहचान और संरक्षण को नई मजबूती मिलेगी.
नई दिल्ली: भारत के पारंपरिक त्योहारों और सांस्कृतिक धरोहरों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा है. यूनेस्को ने ‘दीपावली, द फेस्टिवल ऑफ लाइट’ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में दर्ज कर लिया है.
यह फैसला दिल्ली के लाल किले में चल रही समिति की बैठक के दौरान लिया गया. इससे पहले दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, गरबा और वेदपाठ जैसी परंपराएं इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल हो चुकी हैं.
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची क्या है?
यह सूची उन जीवित परंपराओं, ज्ञान, कला और रीति-रिवाजों को दर्ज करती है, जो पीढ़ियों से समाज का हिस्सा हैं. इनमें कोई भवन या वस्तु नहीं, बल्कि ऐसे सांस्कृतिक अभ्यास शामिल होते हैं, जो एक समुदाय की पहचान और विविधता को मजबूत करते हैं. इसी श्रेणी में योग, रामलीला और भारत की कई लोककलाएं पहले से दर्ज हैं.
भारत की कितनी परंपराएं शामिल हैं?
दीपावली के शामिल होते ही अब भारत के कुल 16 तत्व यूनेस्को की इस महत्वपूर्ण सूची में दर्ज हो गए हैं. विश्व स्तर पर लगभग 700 तत्व 140 देशों से इस सूची का हिस्सा हैं. भारत ने अगले चक्र के लिए बिहार के लोकपर्व छठ पूजा का नामांकन भी भेजा है, जिसकी समीक्षा समिति आने वाले वर्ष में करेगी.
सूची में कैसे पहुंची दीपावली?
यूनेस्को किसी भी सांस्कृतिक तत्व को सूची में शामिल करने से पहले तीन मानकों की जांच करता है- समावेशिता, प्रतिनिधित्व और समुदाय-आधारित परंपरा. दीपावली इन तीनों कसौटियों पर खरी उतरती है. इसे केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाए जाने वाले प्रकाश, आनंद, पुनर्जन्म और सामाजिक सहभागिता के त्योहार के रूप में माना जाता है.
दीपावली को वैश्विक मान्यता क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत ने दीपावली के नामांकन में न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विरासत, बल्कि वैश्विक भारतीय समुदाय की भूमिका को भी प्रमुखता दी. यह त्योहार दुनियाभर में भारतीय पहचान और पारिवारिक-समुदायिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है. इससे जुड़े कारीगरों, दीप बनाने वालों और परंपरागत कौशल रखने वाले समुदायों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और संरक्षण मिलेगा.
भविष्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि दीपावली का यूनेस्को सूची में दर्ज होना पर्यटन, सांस्कृतिक विनिमय और परंपरा संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत करेगा. सूची में शामिल तत्वों के लिए यूनेस्को सर्वोत्तम संरक्षण उपायों का सुझाव देता है और जरूरत पड़ने पर वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता है. इस मान्यता से दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि वैश्विक सांस्कृतिक विरासत के रूप में और अधिक प्रतिष्ठित होगी.
और पढ़ें
- इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने पीएम मोदी को मिलाया फोन, जानें किन मुद्दो पर हुई चर्चा और क्या है इसका महत्व?
- संदेशखाली मामले के मुख्य गवाह की कार में ट्रक ने मारी टक्टर, बेटे की मौत, परिवार ने TMC के पूर्व नेता पर हत्या करवाने के आरोप
- तिरुपति मंदिर में नकली घी विवाद के बाद अब सिल्क शॉल घोटाले का हुआ खुलासा, कॉन्ट्रैक्टर ने 54 करोड़ की लगाई चपत