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ईसाई और मुस्लिमों के विवाह पंजीकरण पर दिल्ली हाई कोर्ट सख्त, लगाई केजरीवाल सरकार को फटकार

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट का कहना है कि तीन साल पहले पारित किए गए न्यायिक आदेश के बाद भी अनिवार्य विवाह पंजीकरण आदेश,2014 के तहत मुस्लिम और ईसाई पर्सनल लॉ के तहत होने वाली शादियों का ऑनलाइन पंजीकरण करने में सरकार विफल रही है. कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन पंजीकरण से संबंध में दिल्ली सरकार ने प्रशासनिक निर्देश जारी नहीं किए हैं.

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Edited By: India Daily Live
Delhi High Court
Courtesy: Social Media

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने  दिल्ली में शादियों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन को लेकर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है.  दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि तीन साल पहले जारी न्यायिक आदेशों के बावजूद, दिल्ली सरकार अपने ई-पोर्टल पर मुस्लिम और ईसाई व्यक्तिगत कानूनों के तहत होने वाली शादियों के पंजीकरण के लिए प्रशासनिक निर्देश जारी करने में विफल रही है. 

न्यायमूर्ति संजीव नरूला की एकल पीठ ने 4 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि दिए गए आश्वासनों के बावजूद यह देखना निराशाजनक है कि 4 अक्टूबर 2021 के आदेश के लगभग तीन साल बाद भी उचित प्रशासनिक निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. इस मुद्दे का अब भी बने रहना जैसा कि वर्तमान मामले में स्पष्ट है एक सिस्टमेटिक विफलता को दिखाता है. 

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने आगे कहा कि विवाह पंजीकरण आदेश, 2014 के अनिवार्य पंजीकरण के तहत विवाहों के पंजीकरण के लिए कोई स्थापित प्रक्रिया नहीं दिखती है ना तो ऑनलाइन और ना ही ऑफलाइन, विशेष रूप से मुस्लिम पर्सनल लॉ या ईसाई पर्सनल लॉ के तहत होने वाले विवाहों के लिए. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह बुनियादी ढांचे की कमी वीजा प्राप्त करने या आधिकारिक विवाह मान्यता पर निर्भर अधिकारों का दावा करने जैसी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने की मांग करने वाले पक्षों के सामने आने वाली कठिनाइयों को कायम रखती है. 

क्या है पूरा मामला 

हाईकोर्ट 1995 में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी करने वाले एक जोड़े की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जो कनाडा के लिए पैरेंटल वीजा के लिए आवेदन करना चाहते थे. यहां उनके दो बच्चे रहते हैं.उनके वीजा आवेदन प्रक्रिया के लिए उन्हें विदेशी देश के वाणिज्य दूतावास में विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र जमा करना आवश्यक था.  इसलिए दंपति ने दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग द्वारा बनाए गए दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करने की मांग की. 

खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

वीजा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दंपति ने शुरू में दिल्ली सरकार के विवाह पंजीकरण ई-पोर्टल के माध्यम से विवाह के पंजीकरण के लिए अपना आवेदन जमा करने का प्रयास किया,  लेकिन उनके प्रयास विफल हो गए क्योंकि पोर्टल पर दिल्ली सरकार के  2014 के आदेश के तहत पंजीकरण के लिए कोई विकल्प मौजूद नहीं था. पोर्टल पर हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण वाले ही विकल्प थे. इसके बाद दंपति ने 2014 के आदेश के अनुसार भौतिक आवेदन दाखिल करने का विकल्प चुना हालाँकि, इस आवेदन पर भी कार्रवाई नहीं की गई.  इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

हाई कोर्ट ने जारी किया आदेश 

न्यायमूर्ति नरूला ने कहा कि अक्टूबर 2021 में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील द्वारा दिए गए आश्वासन के आधार पर एक अन्य समान रिट याचिका का निपटारा किया था. अनिवार्य विवाह पंजीकरण आदेश, 2014 के अनुसार, मुस्लिम पर्सनल लॉ या ईसाई पर्सनल लॉ के तहत विवाह करने वाले पक्षों के सामने आने वाले पंजीकरण मुद्दों के समाधान के लिए उचित प्रशासनिक निर्देश जारी किए जाएंगे. उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि दम्पति के विवाह पंजीकरण आवेदन पर 2014 के आदेश के तहत विचार किया जाए और  पात्रता मानदंड पूरा करने और उनके आवेदन के सही होने पर उन्हें विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाए. 

दिल्ली सरकार को दिया निर्देश 

इसके अलावा  कोर्ट ने  आईटी विभाग/राजस्व विभाग, एनसीटी दिल्ली सरकार की विवाह शाखा को निर्देश दिया कि वे दिल्ली सरकार के विवाह पंजीकरण ऑनलाइन पोर्टल पर 2014 के आदेश के तहत विवाहों के पंजीकरण को सक्षम करने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाएं. कोर्ट ने कहा कि यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि इसी तरह के मुद्दों का शीघ्र समाधान हो और उनकी पुनरावृत्ति न हो जिससे जनता के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया सुचारू हो सके.