समुद्र में बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत, 4,666 करोड़ के रक्षा सौदों पर मुहर
भारतीय सशस्त्र बलों की युद्धक क्षमता को और अधिक मजबूत करने की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा कदम उठाया है.
नई दिल्ली : भारतीय सशस्त्र बलों की युद्धक क्षमता को और अधिक मजबूत करने की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा कदम उठाया है. मंत्रालय ने मंगलवार को कुल 4,666 करोड़ रुपये के रक्षा करारों पर हस्ताक्षर किए हैं. इन समझौतों के तहत भारतीय सेना के लिए बड़ी संख्या में आधुनिक क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन और भारतीय नौसेना के लिए अत्याधुनिक भारी टॉरपीडो खरीदे जाएंगे.
आत्मनिर्भर भारत की पहल
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारतीय सेना के लिए 4.25 लाख से अधिक क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन और उनसे जुड़े सहायक उपकरणों की खरीद की जाएगी. इसके लिए 2,770 करोड़ रुपये का करार भारत फोर्ज लिमिटेड और पीएलआर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ किया गया है.
यह सौदा ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य भारतीय सैनिकों को विश्वस्तरीय मारक क्षमता से लैस करना और पुरानी प्रणालियों को अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक से बदलना है. इससे सेना की नजदीकी लड़ाई में प्रभावशीलता और तेजी दोनों में इजाफा होगा.
1,896 करोड़ रुपये की लागत
इसके अलावा, भारतीय नौसेना की कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए 48 भारी टॉरपीडो और संबंधित उपकरणों की खरीद को भी मंजूरी दी गई है. इस परियोजना के तहत लगभग 1,896 करोड़ रुपये की लागत का करार इटली की वास सबमरीन सिस्टम्स एसआरएल के साथ किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस खरीद से कलवरी श्रेणी की सभी छह पनडुब्बियों की युद्धक क्षमता में वृद्धि होगी.
टॉरपीडो की आपूर्ति अप्रैल 2028 से शुरू होगी
मंत्रालय के अनुसार, ये भारी टॉरपीडो अत्याधुनिक और आधुनिक तकनीक से लैस हैं. इनमें उन्नत ऑपरेशनल क्षमताएं और आधुनिक तकनीकी विशेषताएं शामिल हैं, जो समुद्र में दुश्मन की पनडुब्बियों और सतही जहाजों के खिलाफ बेहद प्रभावी साबित होंगी. टॉरपीडो की आपूर्ति अप्रैल 2028 से शुरू होगी और इसे 2030 की शुरुआत तक पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है.
सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह खरीद सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत भारतीय नौसेना और सेना की परिचालन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक हथियार प्रणालियों को शामिल किया जा रहा है. इन करारों से न केवल सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता मजबूत होगी, बल्कि देश की समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी और अधिक सुदृढ़ किया जा सकेगा.