Cybercrime in India: डिजिटल फ्रॉड और साइबर क्राइम ने देश को आर्थिक और सामाजिक रूप तोड़ दिया है. दिल्ली की मीडिया और टेक कंपनी 'डेटालीड्स' की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल साइबर अपराधियों और धोखेबाजों के कारण भारत को 22,842 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) का अनुमान है कि 2025 में यह नुकसान 1.2 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि डिजिटल अपराधी तेजी से अपने पइर पसार रहे हैं.
डेटालीड्स की रिपोर्ट, 'कॉन्टूर्स ऑफ साइबर क्राइम: भारत में ऑनलाइन फाइनेंसियल फ्रॉड और डीपफेक का लगातार और उभरता जोखिम', में बताया गया कि 2024 में साइबर अपराधियों द्वारा चुराई गई राशि 2023 के 7,465 करोड़ रुपये से लगभग तीन गुना और 2022 के 2,306 करोड़ रुपये से दस गुना अधिक थी. साथ ही, साइबर अपराध की शिकायतों में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई. 2024 में लगभग 20 लाख शिकायतें दर्ज हुईं, जो 2023 की 15.6 लाख शिकायतों से अधिक और 2019 की तुलना में दस गुना ज्यादा थीं. डेटालीड्स के मुताबिक, “भारत के डिजिटल अपराधी अधिक चालाक और कुशल होते जा रहे हैं, साथ ही लगभग 290 लाख बेरोजगार लोगों वाले देश में उनकी संख्या बढ़ती जा रही है.”
डिजिटल भुगतान और साइबर क्राइम का नाता
पिछले कुछ सालों में डिजिटल भुगतान के तरीकों, जैसे यूपीआई, पेटीएम और फोनपे, के उपयोग में तेजी आई है. जून 2025 में अकेले 190 लाख से अधिक यूपीआई लेनदेन दर्ज किए गए, जिनका कुल मूल्य 24.03 लाख करोड़ रुपये था. डिजिटल भुगतान का मूल्य 2013 में 162 करोड़ रुपये से बढ़कर जनवरी 2025 में 18,120.82 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. भारत अब वैश्विक डिजिटल भुगतानों में लगभग आधा हिस्सा रखता है. कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने इस बदलाव को और तेज किया. सरकार ने सामाजिक दूरी और नकदी के उपयोग को कम करने के लिए डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया. सस्ते डेटा और स्मार्टफोन की उपलब्धता ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी वित्तीय सेवाओं की पहुंच बढ़ाई. 2019 तक भारत में 44 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता थे, और 1 जीबी डेटा की कीमत 200 रुपये से भी कम थी.
साइबर फ्रॉड के नए-नए रूप
साइबर अपराधी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं. मशहूर हस्तियों और व्यापारिक नेताओं के डीपफेक वीडियो बनाकर लोगों का भरोसा जीता जा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में बैंकिंग धोखाधड़ी में आठ गुना वृद्धि हुई, और नुकसान 2,623 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,367 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सबसे अधिक नुकसान हुआ, जहां ग्राहकों ने 25,667 करोड़ रुपये गंवाए. बीमा क्षेत्र भी साइबर अपराधियों का निशाना बन रहा है. जीवन, स्वास्थ्य, और वाहन बीमा से जुड़े घोटाले बढ़ रहे हैं. धोखेबाज मान्यता प्राप्त ब्रांडों जैसे एचडीएफसी और कोटक के नाम का दुरुपयोग करते हैं. निवेश घोटाले भी आम हैं, जहां आकर्षक रिटर्न का लालच देकर लोगों को ठगा जाता है.
आम डिजिटल घोटाले
फ़िशिंग मैसेज: व्हाट्सएप या एसएमएस के जरिए अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे ब्रांडों के नाम पर 'रिफ़ंड' या 'इनाम' का लालच दिया जाता है.
कम कीमत में अधिक सामन : ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर कम कीमतों पर सामान बेचने का वादा कर भुगतान लेने के बाद विक्रेता गायब हो जाता है.
फर्जी लिंक: फ़र्ज़ी लिंक के जरिए वित्तीय जानकारी चुराई जाती है या मैलवेयर इंस्टॉल किया जाता है.