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हुड्डा सरकार में हरियाणा में एक ही समाज का था बोलबाला, खतरे में थी बहन-बेटियों की आबरू

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में राज्य सरकार एक खास समुदाय के प्रति झुकी हुई नजर आती थी लेकिन मनोहर लाल  खट्टर और फिर नायब सिंह सैनी के कार्यकाल में सभी समुदायों को समान अवसर दिए गए.

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Crime in Bhupendra Singh Hooda government
Courtesy: @BhupinderShooda

कांग्रेस ने हरियाणा के लोगों को सपने जरूर दिखाए लेकिन उन्हें साकार करने का काम बीजेपी ने किया. एक दौर था जब हरियाणा अपराध और कई गलत वजहों की वजह से कुख्यात था. हर तरफ अपराध का बोलबाला था. अपराधियों के सिर पर कांग्रेस का हाथ था लेकिन जब से बीजेपी सत्ता में आई हरियाणा में क्राइम का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा और पिछले 10 सालों में स्थितियां काफी अच्छी हुईं.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में राज्य सरकार एक खास समुदाय के प्रति झुकी हुई नजर आती थी लेकिन मनोहर लाल  खट्टर और फिर नायब सिंह सैनी के कार्यकाल में सभी समुदायों को समान अवसर दिए गए.

कांग्रेस के दमनकारी माहौल में लोग समय काटने को मजबूर थे. विशेष समाज को इतनी छूट व प्राथमिकता मिली हुई थी कि अन्य समाज के लिए न्याय की जगह ही नहीं थी, उन्हें भय, भ्रष्टाचार और भेदभाव का सामना करना पड़ता था. खर्ची-पर्ची योजना के जरिए सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को सरकारी पद दे दिए जाते थे.

एक ही समुदाय चाटता था मलाई
हुड्डा सरकार ने पूरी ताकत एक ही समुदाय को दी दी थी. अन्य समाज के लोगों को पूरी योजना के साथ अवसरों से दूर कर दिया जाता था. सरकार जिस खास समाज के कब्जे में थी उसी समाज को सब कुछ सौंप दिया जाता था. नतीजा यह हुआ कि जो समाज तत्कालीन सरकार के सिस्टम में फिट नहीं बैठे वो आर्थिक तौर पर गरीब और गरीब होते चले गए.

पुलिस प्रशासन था बेमानी
हुड्डा सरकार में केवल क्राइम का बोलबाला था. जो हथकड़ियां अपराधियों को लगनी चाहिए थीं उन्हें पुलिस को पहना दिया गया. सरकार की शह से अपराधी और ज्यादा ताकतवर होते गए कोई उनके खिलाफ केस तक दर्ज करने की हिम्मत नहीं करता था. गुनाहगारों को मालूम था कि वे चाहे जो भी क्राइम कर दें कोई उन्हें छूने वाला नहीं.

बहन-बेटियों का जीना हुआ दूभर
इस माहौल ने हरियाणा की बहन बेटियों में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी. बाहर ऐसा उत्पीड़न और हिंसा का वातावरण बना दिया गया कि बहन-बेटियां घरों की चारदीवारियों में कैद होने को मजबूर हो गईं. पूरे राज्य में एक विशेष समाज का गुंडाराज कायम हो गया था. वो जो चाहे कर सकते थे. एक तरह से कांग्रेस के उस दौरान में समाज का पूरा ताना-बाना बिगड़ चुका था. हुड्डा सरकार केवल एक ही बिरादरी की सुन रही थी, बाकी समाज को पूरी तह से व्यवस्थित तरीके से दरकिनार कर दिया गया था.