'सबसे अच्छा है केंद्र सरकार को हटा दें', बंगाल में SIR पर CM ममता की हुंकार
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि यह कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं है, बल्कि शांत तरीके से गड़बड़ी की जा रही है. उनके अनुसार, बीजेपी और केंद्र सरकार मिलकर चुनाव आयोग के जरिए बंगाल में खास समुदायों के नाम मतदाता सूची से हटवा रही हैं.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को एक बार फिर सड़कों पर उतरीं. उन्होंने हजारों समर्थकों के साथ एक विशाल रैली निकालकर चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) यानी मतदाता सूची के विशेष संशोधन अभियान का विरोध किया.
अंबेडकर की प्रतिमा से शुरू होकर रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर तक पहुंची रैली
रैली कोलकाता के रेड रोड स्थित बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा से शुरू होकर रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर जोरोसांको ठाकुरबाड़ी तक पहुंची. लगभग 3.8 किलोमीटर लंबी इस रैली में टीएमसी के झंडों, पोस्टरों और नारों से माहौल गूंज उठा. ममता बनर्जी अपनी पारंपरिक सफेद साड़ी और चप्पल में सबसे आगे चल रही थीं. रास्तेभर लोगों ने बालकनियों से झांककर उन्हें देखा, फूल बरसाए और कई जगहों पर सड़क किनारे खड़े होकर स्वागत किया.
TMC का दावा- SIR प्रक्रिया को लेकर लोगों में तनाव
मुख्यमंत्री के भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी रैली में मौजूद रहे. उनके साथ कई मंत्री और वरिष्ठ नेता भी शामिल थे. टीएमसी का कहना है कि SIR प्रक्रिया और एनआरसी को लेकर राज्य में लोगों में भय का माहौल है. पार्टी का दावा है कि इसी तनाव में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है. दो ने आत्महत्या की, जबकि एक महिला की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई.
बीजेपी ने रैली को बताया 'जमात की रैली'
विपक्षी दलों ने इस रैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने इसे जमात की रैली बताते हुए कहा कि यह भारतीय संविधान की भावना के खिलाफ है. वहीं, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि अगर ममता बनर्जी को कोई शिकायत है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. राज्य में अराजकता का माहौल बना दिया गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी रोहिंग्याओं को बुलाकर उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल कराने की कोशिश कर रही हैं.
क्या है स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR)?
दरअसल, स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बूथ-लेवल अधिकारी घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच करते हैं. इस दौरान मृत व्यक्तियों, दोहरी प्रविष्टियों या दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित लोगों के नाम सूची से हटाए जाते हैं. इस तरह का बड़ा संशोधन लगभग 20 साल बाद किया जा रहा है, और फिलहाल इसे 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है.
हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के बहाने खास वर्गों, विशेषकर उन समुदायों को टारगेट किया जा रहा है जो पारंपरिक रूप से बीजेपी का समर्थन नहीं करते.
बिहार में जब SIR का पहला चरण चला था, तब अंतिम मतदाता सूची से करीब 68 लाख नाम हटा दिए गए थे. विवाद बढ़ने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी थी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ.
ममता बनर्जी ने रैली के माध्यम से चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर एक बार फिर दबाव बढ़ाने की कोशिश की है. टीएमसी का कहना है कि पार्टी जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए इस लड़ाई को जारी रखेगी.