सिंगापुर में हुए शांगरी-ला डायलॉग में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने इस ऑपरेशन के जरिए यह स्पष्ट किया कि भविष्य के युद्ध अब केवल पारंपरिक हथियारों और सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं रहेंगे. इसके बजाय, आधुनिक तकनीक, साइबर युद्ध, अंतरिक्ष-आधारित निगरानी और सूचना नियंत्रण जैसे क्षेत्र इसमें अहम भूमिका निभाएंगे. ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को दिखाया, बल्कि यह भी बताया कि कैसे युद्ध के नए तरीकों को अपनाकर भारत भविष्य के लिए तैयार है. जनरल चौहान ने पांच प्रमुख बिंदुओं में इसे समझाया.
1. मल्टी-डोमेन युद्ध की शुरुआत
जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने पारंपरिक युद्ध से हटकर एक नए मल्टी-डोमेन दृष्टिकोण को अपनाया. इसमें थल, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों को एक साथ जोड़ा गया. उन्होंने कहा, "आधुनिक युद्ध में रणनीति, संचालन और तकनीक का जटिल मिश्रण हो रहा है. पुराने और नए क्षेत्रों को समय और स्थान के साथ जोड़ा जा रहा है." इस ऑपरेशन में सटीक हवाई हमलों के साथ-साथ साइबर और अंतरिक्ष तकनीकों का भी उपयोग हुआ, जो इसे एक आधुनिक युद्ध का उदाहरण बनाता है.
2. फर्जी खबरों से लड़ाई
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं को रोकना एक बड़ी चुनौती थी. जनरल चौहान ने बताया कि सशस्त्र बलों ने लगभग 15% समय और संसाधन गलत सूचनाओं का जवाब देने में लगाए. उन्होंने कहा, "हमारी संचार रणनीति बहुत सोची-समझी थी. हमने जल्दबाजी में जवाब देने के बजाय सही समय पर सटीक जानकारी दी, क्योंकि गलत सूचनाएं लोगों की धारणा को जल्दी बिगाड़ सकती हैं." ऑपरेशन के शुरुआती तीन दिनों में दो महिला अधिकारियों ने प्रवक्ता की भूमिका निभाई, क्योंकि सैन्य नेतृत्व तेजी से चल रहे ऑपरेशन में व्यस्त था.
3. साइबर हमलों के खिलाफ मजबूती
ऑपरेशन के दौरान कई साइबर हमले हुए, लेकिन भारत के सैन्य सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित रहे. जनरल चौहान ने बताया, "हमारे सैन्य सिस्टम इंटरनेट से अलग (एयर-गैप्ड) हैं, जिसके कारण वे साइबर हमलों से बचे रहे. कुछ स्कूलों की वेबसाइट्स जैसे सार्वजनिक मंचों पर हमले हुए, लेकिन इनका ऑपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ा." यह दिखाता है कि भारत ने अपनी सैन्य तकनीक को साइबर खतरों से बचाने के लिए मजबूत कदम उठाए हैं.
4. आधुनिक युद्ध में तकनीक का एकीकरण
जनरल चौहान ने आधुनिक युद्ध में तकनीक के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "आज के युद्ध में सबसे जरूरी है सिस्टम्स का नेटवर्क और वास्तविक समय में थल, वायु, समुद्र और साइबर क्षेत्रों का एकीकरण. अगर आपके पास बेहतरीन तकनीक है, लेकिन वह आपस में जुड़ी नहीं है, तो उसका पूरा फायदा नहीं उठाया जा सकता." ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने इस एकीकरण को सफलतापूर्वक लागू किया, जिससे यह साफ हुआ कि भारत भविष्य के युद्धों के लिए तैयार है.
5. सैन्य ढांचे और प्रशिक्षण में सुधार
भविष्य के युद्धों में ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और मानवरहित हवाई मंचों (UTAPs) जैसे उभरते हुए तकनीकों की जरूरत होगी. जनरल चौहान ने कहा, "इन नई तकनीकों के लिए हमें अलग-अलग विशेष इकाइयों की जरूरत होगी." उन्होंने यह भी बताया कि पहले भारतीय सेना में संयुक्तता और एकीकरण की कमी थी, लेकिन अब एकीकृत कमांड और अधिक लचीली संरचनाओं की ओर बढ़ रहा है. यह बदलाव भारत को और मजबूत बनाएगा.