नई दिल्ली: असम में जनसांख्यिकी और सीमा सुरक्षा को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश से जुड़े हालिया बयानों और वहां की राजनीतिक स्थिति का हवाला देते हुए राज्य के भविष्य को लेकर गंभीर चिंता जताई है.
उन्होंने कहा कि अवैध घुसपैठ और जनसंख्या संतुलन में बदलाव असम के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पड़ोसी देश में अस्थिरता और भारत विरोधी बयान सामने आ रहे हैं.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि असम में बांग्लादेशी मूल की आबादी पहले ही काफी अधिक है. उनके अनुसार, यदि यह संख्या मौजूदा स्तर से लगभग 10 प्रतिशत और बढ़ जाती है, तो असम अपनी अलग पहचान खो सकता है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वह पिछले पांच वर्षों से इस विषय को लगातार उठा रहे हैं, क्योंकि यह केवल राजनीतिक नहीं बल्कि अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है.
सरमा का यह बयान बांग्लादेश के नेशनल सिटिजन पार्टी के नेता हसनत अब्दुल्ला की टिप्पणी के बाद आया है. उस बयान में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को अलग-थलग करने और अलगाववादी ताकतों को समर्थन देने की बात कही गई थी. मुख्यमंत्री ने इसे गंभीर और उकसाने वाला करार देते हुए कहा कि ऐसे विचार क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक हैं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि बांग्लादेश में जारी अशांति और वहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे कथित अत्याचारों को देखते हुए असम को हाई अलर्ट पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर गतिविधि पर कड़ी नजर बनाए हुए है. सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा एजेंसियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह कोई नई समस्या नहीं है. दशकों से बांग्लादेश से लोग अलग-अलग रास्तों से असम में आते रहे हैं. उन्होंने माना कि राज्य के कई हिस्सों में इसका सामाजिक और राजनीतिक असर दिख रहा है. मुख्यमंत्री के अनुसार, अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हालात और बिगड़ सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि असम को केवल राज्य नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से देखना चाहिए. उन्होंने केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत बताई. सरमा ने दोहराया कि पड़ोसी देश के घटनाक्रम पर नजर रखना और सीमाओं को सुरक्षित रखना आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता है.