आतंकवाद निरोधक निगरानी संस्था FATF ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है. उनका कहना है कि ये अटैक बिना किसी फाइनेंसियल हेल्प और आतंकवादी नेटवर्कों के बीच धन के हस्तांतरण की क्षमता के बिना नहीं हो सकता था. FATF ने आगे कहा कि,'' आतंकवाद के लिए धन का आवागमन केंद्रीय है और पहलगाम सहित इस तरह के हमले संभव नहीं होंगे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय संस्था FATF ने अपने बयान में कहा, "पैसे का हस्तांतरण आतंकवाद का केंद्र है, और पहलगाम जैसे हमले इसके बिना संभव नहीं हो सकते." पहलगाम हमले का FATF द्वारा उल्लेख दुर्लभ और महत्वपूर्ण है. यह भारत में सीमा पार आतंकवाद के खतरे और आतंकी गतिविधियों को बनाए रखने में वित्तीय प्रवाह की महत्वपूर्ण भूमिका को वैश्विक मान्यता देता है. यह बयान भारत को पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल करने की मांग को मजबूत करने में मदद कर सकता है. भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकी नेटवर्कों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है.
पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष निशाना
FATF का बयान परोक्ष रूप से पाकिस्तान आधारित आतंकी वित्तपोषण मार्गों की ओर इशारा करता है. भारत ने बार-बार हवाला, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल उपकरणों के माध्यम से सीमा पार आतंकी समूहों द्वारा वित्तपोषण की बात उठाई है. FATF ने सोशल मीडिया, क्राउडफंडिंग और वर्चुअल एसेट्स के दुरुपयोग जैसे नए जोखिमों को भी चिह्नित किया, जो पारंपरिक निगरानी प्रणालियों को चकमा देने के लिए उपयोग हो रहे हैं.
पाकिस्तान और FATF की ग्रे लिस्ट
पाकिस्तान 2018 से 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में था, जो उन देशों को दर्शाता है जिनके धन शोधन रोधी और आतंकवाद वित्तपोषण रोधी तंत्र में कमियां हैं. 2022 में इसे ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया था, लेकिन भारत का मानना है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद विरोधी कानूनों को पूरी तरह लागू नहीं किया. भारत ने FATF को इस्लामाबाद के आतंकी ढांचे से संबंधित सबूत प्रदान किए हैं और पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल करने की मांग की है. FATF का यह बयान भारत की इस मांग को और बल दे सकता है.
भविष्य की क्या है योजनाएं
FATF जल्द ही आतंकी वित्तपोषण के पैटर्न पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगा, जिसमें वैश्विक मामले शामिल होंगे. इसके अलावा, उभरते खतरों के बारे में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को जागरूक करने के लिए एक वेबिनार भी आयोजित किया जाएगा. यह कदम वैश्विक स्तर पर आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है.