यह रक्षाबंधन एक भाई के लिए बेहद दर्दनाक साबित हुआ. उसकी बहन, जो छह महीने पहले ही शादी के बंधन में बंधी थी, अब इस दुनिया में नहीं रही. उसने आत्महत्या कर ली, लेकिन मरने से पहले एक ऐसा खत छोड़ा जिसमें दर्द, अपमान और टूटे हुए सपनों की दास्तान थी. इस खत में सिर्फ सच्चाई नहीं थी, बल्कि एक बहन का अपने भाई के नाम आखिरी प्यार भी था. उसने खत में बहुत ही मार्मिक लिखी- "इस बार राखी नहीं बांध पाऊंगी, भाई."
श्रीविद्या, जो आंध्र प्रदेश के एक कॉलेज में लेक्चरर थी, ने अपने सुसाइड नोट में पति रामबाबू पर कई गंभीर आरोप लगाए. उसने बताया कि शादी के बाद से ही उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था. एक बार तो उसके पति ने उसे दूसरी महिला के सामने “निकम्मी” कहकर अपमानित किया. इसके अलावा उसने बताया कि कैसे उसे बिस्तर पर सिर पटका गया और पीठ पर मुक्के मारे गए. यह सब कुछ उसे अंदर ही अंदर तोड़ता चला गया.
श्रीविद्या ने अपने अंतिम पत्र में अपने भाई को संबोधित करते हुए लिखा, "भैया, अपना ख्याल रखना. इस बार राखी नहीं बांध पाऊंगी." इस एक लाइन में दर्द, मजबूरी और एक बहन की बेबसी साफ झलकती है. यह वाक्य केवल एक सन्देश नहीं था, बल्कि उस सामाजिक ताने-बाने पर भी सवाल खड़ा करता है, जहां एक लड़की अपने ही घर में सुरक्षित नहीं रहती.
अपने नोट के अंत में श्रीविद्या ने साफ तौर पर लिखा कि उसकी मौत के लिए उसके पति और ससुराल वाले जिम्मेदार हैं. उसने अपील की कि उन्हें किसी भी सूरत में छोड़ा न जाए. उसकी यह अपील अब पुलिस जांच का अहम हिस्सा बन गई है. परिजन भी न्याय की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि दोषियों को सख्त सजा मिले.