आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य वक्फ बोर्ड के गठन को भंग करने का ऐलान किया है. इसका गठन पिछली जगन मोहन की सरकार ने किया था. हालांकि, 30 नवंबर को जारी आदेश में मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जारी आदेश को रद्द कर दिया. इस आदेश में कहा गया कि ये फैसला बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव पर हाई कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने के बाद बोर्ड के लंबे समय तक निष्क्रिय रहने के कारण लिया गया है. अब राज्य में नए सिरे से वक्फ बोर्ड क गठन किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 के खिलाफ हो रहे विरोध के बीच उठाया गया है. दरअसल, 30 नवंबर को जारी एक सरकारी आदेश में सरकार ने यह जिक्र किया कि वाईएसआर कांग्रेस शासन द्वारा गठित आंध्र प्रदेश राज्य वक्फ बोर्ड मार्च 2023 से निष्क्रिय था. इस बोर्ड में कुल 11 सदस्य थे, जिनमें से तीन को चुनाव के माध्यम से और बाकी 8 सदस्य मनोनीत थे.
@ncbn And @PawanKalyan govt dissolves #WaqfBoard as it is not in line with the #Constitution pic.twitter.com/7d4MUJJdob
— Mayank Tiwari (@imayanktiwari) December 1, 2024
चंद्रबाबू नायडू सरकार का फैसला और HC का आदेश
बता दें कि, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 1 नवंबर, 2023 को राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव पर रोक लगा दी थी, क्योंकि एक याचिका में बोर्ड के गठन की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी. इस आदेश में आगे कहा गया, "आंध्र प्रदेश राज्य वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजयवाड़ा ने सरकार के ध्यान में लाया कि बोर्ड लंबे समय से निष्क्रिय है और जीओएम 47 की वैधता को लेकर उच्च न्यायालय में याचिकाएं लंबित हैं. इन विवादों का समाधान करने और प्रशासनिक शून्यता को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया. जिसके बाद सरकार ने सभी पहलुओं और हाई कोर्ट के आदेश पर विचार करने के बाद, 21 अक्टूबर 2023 को जारी सरकारी आदेश को "तत्काल प्रभाव से" वापस ले लिया.
जानें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री क्या बोले?
इस बीच, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री एन.एम.डी. फारूक ने कहा, "मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और प्रबंधन और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए खड़ी है और अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए कदम उठा रही है. फारुक ने आगे कहा कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है.
जानिए वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर क्या है विवाद?
दूसरी ओर, वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को लेकर विवाद गहरा गया है. केंद्र सरकार ने इस बिल को अगस्त 2023 में लोकसभा में पेश किया था. यह बिल वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाना है. इसके तहत वक्फ बोर्डों में महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा और गैरकानूनी रूप से कब्जा की गई संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान प्रस्तावित हैं.
विपक्ष ने इस बिल के खिलाफ विरोध जताया है, जबकि केंद्र सरकार इसे एक सकारात्मक विकास मानती है. लोकसभा ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के कार्यकाल को अगले बजट सत्र तक बढ़ा दिया है, ताकि राज्य सरकारें और अन्य संबंधित पक्ष इस बिल पर अपनी राय दे सकें.