कश्मीर रेलवे को लेकर आया बड़ा अपडेट, अब डायरेक्ट अनलॉकिंग सिस्टम से अधिक सेफ होगी रेल यात्रा
जम्मू-कश्मीर के रेल नेटवर्क में तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है. उत्तर रेलवे ने दीनानगर स्टेशन पर पहली डायरेक्ट अनलॉकिंग प्रणाली शुरू की है, जिससे सिग्नलिंग और पॉइंट मशीनें सीधे नियंत्रित होकर सुरक्षा बढ़ती है. वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत के बाद घाटी में ट्रैक रखरखाव के लिए टैम्पिंग मशीन, गिट्टी सफाई मशीन और मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा है.
वंदे भारत एक्सप्रेस के संचालन के बाद जम्मू-कश्मीर के रेल नेटवर्क में अब एक और बड़ी तकनीकी क्रांति देखने को मिली है. उत्तर रेलवे के जम्मू संभाग ने पहली बार दीनानगर रेलवे स्टेशन पर अत्याधुनिक डायरेक्ट अनलॉकिंग सिस्टम को चालू किया है, जो रेलवे सिग्नलिंग और पॉइंट मशीनों को सीधे नियंत्रित करता है. यह प्रणाली न सिर्फ मानवीय त्रुटियों को कम करती है, बल्कि ट्रेनों की आवाजाही को और अधिक सुरक्षित और कुशल बनाती है.
रेल मंडल प्रबंधक विवेक कुमार ने इस पहल को यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने वाला कदम बताया है. यह तकनीक अब अन्य स्टेशनों पर भी लागू की जाएगी ताकि देश भर में रेलवे की सुरक्षा और संचालन क्षमता को नया आयाम मिल सके.
जम्मू-कश्मीर की रेल सेवाओं पर भी दिखा असर
रेलवे के इस आधुनिकीकरण का असर जम्मू-कश्मीर की रेल सेवाओं पर भी तेजी से दिख रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 6 जून को कटरा और श्रीनगर के बीच दो वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के बाद कश्मीर घाटी में ट्रैक रखरखाव की दिशा में कई नई पहलें शुरू की गई हैं.
अब यात्रा बनी ज्यादा सुरक्षित
घाटी में तैनात टैम्पिंग मशीन ने अब तक करीब 88 किलोमीटर पटरियों के नीचे गिट्टी को मजबूती से दबाकर ट्रैक को स्थिर किया है. इससे यात्रा और अधिक सुरक्षित और आरामदायक बनी है. वहीं गिट्टी सफाई मशीनों (BCM) ने लगभग 11.5 किलोमीटर पटरियों की गहराई से सफाई की है, जो ट्रैक की जल निकासी और मजबूती के लिए जरूरी है. जुलाई 2025 में भेजी गई दो नई मशीनों ने अतिरिक्त 2.5 किलोमीटर ट्रैक की गहराई से सफाई की. गिट्टी की आपूर्ति के लिए अब तक कठुआ, काजीगुंड, माधोपुर और जींद से 17 गिट्टी रेकों के माध्यम से करीब 19,000 घन मीटर गिट्टी घाटी में पहुंचाई गई है. इसके साथ ही, ट्रैक रिकॉर्डिंग कार (TRC) और ऑसिलेशन मॉनिटरिंग सिस्टम (OMS) के जरिए पटरियों की गुणवत्ता का भी निरीक्षण किया गया है.
कोच मेंटेनेंस सिस्टम में भी बड़ा बदलाव आया
केवल पटरियां ही नहीं, बल्कि अब कोच मेंटेनेंस सिस्टम में भी बड़ा बदलाव आया है. पहले बडगाम से लखनऊ तक कोचों को ओवरहालिंग (POH) के लिए सड़क मार्ग से भेजा जाता था, जो जटिल और समय लेने वाला था. अब पहली बार रेल मार्ग से रेकों को सीधे लखनऊ भेजा जा रहा है, जिससे प्रक्रिया सरल हो गई है. अगस्त के अंत तक कश्मीर में चल रही सभी ट्रेनों के कोचों को अपग्रेड करने का लक्ष्य रखा गया है.
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