Indian Gaganyaan Astronauts: भारत विश्व की सबसे बड़ी महाशक्तियों में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है. इस बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता है. जमीन से लेकर आसमान तक इंडिया अपना करतब दिखाता आ रहा है. अंतरिक्ष की दुनिया में भारत इतिहास रचता आ रहा है. गगनयान मिशन के तहत 4 भारतीय एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष की सैर करेंगे. ये सिर्फ खबर मात्रा ही नहीं बल्कि भारत के विकास की नई गाथा भी. आज उन चारों एस्ट्रोनॉट्स के नाम का ऐलान पीएम मोदी ने कर दिया है. भारत के गगनवीरों को कड़ी ट्रेनिंग दी गई है. पिछले साल इस स्पेस मिशन की सफल टेस्टिंग भी की जा चुकी है. इन चारों भारतीयो का राकेश शर्मा से गहरा कनेक्शन हैं.
गगनयान मिशन में एस्ट्रोनॉट्स के रूप में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और शुभांशु शुक्ला सिलेक्ट हुए हैं. ये सभी भारतीय एयरफोर्स में या तो विंग कमांडर हैं या फिर ग्रुप कैप्टन हैं. सभी को पायलट के रूप में काम करने का अच्छा खासा अनुभव है. इसका मतलब है कि ये चारो योद्धा हर परिस्थिति में सर्वाइव करने के लिए बिल्कुल रेडी हैं. इन्हें कड़ी ट्रेनिंग दी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- "यह मेरे लिए बहुत ही स्पेशल मूमेंट है कि मैंने भारत के चारों अंतरिक्ष यात्रियों को विंग सौंपा. वे 140 करोड़ भारतीयों की आशाओं, आकांक्षाओं और आशावाद को दर्शाते हैं. भारत को ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्ण नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला पर गर्व है."
It was a very special moment for me to hand over wings to the four Indian astronaut-designates. They reflect the hopes, aspirations and optimism of 140 crore Indians.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 27, 2024
India is proud of Group Captain Prasanth Balakrishnan Nair, Group Captain Ajit Krishnan, Group Captain Angad… pic.twitter.com/i0oseaxd4o
इसरो ने कई राउंड के बाद ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को गगनयान मिशन के लिए चुना गया. इन सभी की ट्रेनिंग रसिया में हुई है. रसिया के यूरी गागरिन अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र (Yuri Gagarin Cosmonaut Training Center) ने सभी को 1 साल की कड़ी ट्रेनिंग दी है. अमेरिका ने भी चारों भारतीयों को स्पेस मिशन के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी है. रसिया स्पेस मिशन के लिए ट्रेनिंग देने के लिए जाना जाता है. अधिकतर एस्ट्रोनॉट्स को यहीं ट्रेनिंग दी जाती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1984 में राकेश शर्मा ने भी यहीं से ट्रेनिंग ली थी. राकेश शर्मा भारतीय वायुसेना के वायुसेना के पायलट थे जिन्होंने Soviet Interkosmos Programme के तहत Soyuz T-11 से 3 अप्रैल 1984 अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी. वह पहले भारतीय है जिन्होंने स्पेश की यात्रा की है.
गगनयान मिशन 2024 -25 में लॉन्च के लिए शेड्यूल किया गया है. यह पूरा 3 दिनों का होगा. 3 दिनों में चारों एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराते नजर आएंगे और फिर समुद्र में सुरक्षित लैंड करेंगे.
भारत के गगनयान मिशन की सफलता दुनिया के सामने भारत को एक नई शक्ति के रूप में पेश करेगी. गगनयान की सफलता करोड़ों भारतीयों के लिए गर्व का पल होगा.
भारत का प्लान है वह 2035 तक 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' स्थापित करे और 2040 तक चांद पर भारत अपने एस्ट्रोनॉट्स भेजे.