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Sridevi Property: श्रीदेवी की प्रॉपर्टी पर 3 लोगों ने किया अवैध कब्जा, पति बोनी कपूर ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

दिवंगत बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी की चेन्नई स्थित संपत्ति को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है. उनके पति और मशहूर फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बोनी कपूर ने आरोप लगाया है कि तीन लोग अवैध रूप से श्रीदेवी की संपत्ति पर दावा कर रहे हैं.

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Edited By: Antima Pal
Sridevi Property
Courtesy: social media

Sridevi Property: दिवंगत बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी की चेन्नई स्थित संपत्ति को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है. उनके पति और मशहूर फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बोनी कपूर ने आरोप लगाया है कि तीन लोग अवैध रूप से श्रीदेवी की संपत्ति पर दावा कर रहे हैं. यह संपत्ति श्रीदेवी ने साल 1988 में खरीदी थी और यह उनके परिवार के लिए भावनात्मक रूप से बेहद खास है.

रिपोर्ट्स के अनुसार यह संपत्ति चेन्नई के ईस्ट कोस्ट रोड पर स्थित है, जिसे श्रीदेवी ने 19 अप्रैल 1988 को एम.सी. संबंदा मुदलियार से खरीदा था. उस समय मुदलियार के परिवार ने 1960 में आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा किया था और श्रीदेवी ने वैध दस्तावेजों के साथ इसे खरीदा था. यह संपत्ति अब कपूर परिवार के लिए एक फार्महाउस के रूप में इस्तेमाल होती है, जो श्रीदेवी की यादों को संजोए हुए है.

श्रीदेवी की प्रॉपर्टी पर 3 लोगों ने किया अवैध कब्जा

बोनी कपूर ने कोर्ट में बताया कि तीन लोग - एक महिला और उसके दो बेटों - ने इस संपत्ति पर अपना हक जताया है. ये लोग दावा कर रहे हैं कि महिला मुदलियार के एक बेटे की दूसरी पत्नी है, जिसका विवाह 1975 में हुआ था. लेकिन बोनी ने इस दावे को गलत बताया, क्योंकि उस समय उस व्यक्ति की पहली पत्नी जिंदा थी, जो 1999 तक जीवित रही. इसलिए यह दूसरा विवाह कानूनी रूप से मान्य नहीं है. इन लोगों ने 2005 में तांबरम तहसीलदार से एक वारिस प्रमाणपत्र भी हासिल किया, जिसे बोनी ने फर्जी करार दिया है.

बोनी कपूर ने खटखटाया HC का दरवाजा

बोनी कपूर ने कोर्ट से इस प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति पर दावा कर रहे हैं और कई बार सिविल केस दायर कर परेशान कर चुके हैं. जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश ने इस मामले में तांबरम तहसीलदार को चार हफ्तों में फैसला लेने का निर्देश दिया है.