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'दरिंदे होते हैं डिस्ट्रीब्यूटर और एग्जिबिटर्स...', नसीरुद्दीन शाह के बयान पर भड़के फिल्म एग्जिबिटर अक्षय राठी ने दिया करारा जवाब

Naseeruddin Shah: नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि फिल्म एग्जिबिटर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स हिट फिल्म की कमाई का एक बड़ा हिस्सा खा जाते हैं और फिल्म के लिए असल में कड़ी मेहनत करने वालों के लिए कमाई का बेहद छोटा हिस्सा छोड़ते हैं

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Sagar Bhardwaj
'दरिंदे होते हैं डिस्ट्रीब्यूटर और एग्जिबिटर्स...', नसीरुद्दीन शाह के बयान पर भड़के फिल्म एग्जिबिटर अक्षय राठी ने दिया करारा जवाब

नई दिल्ली: एग्जिबिटर और फिल्म ट्रेड एनालिस्ट अक्षय राठी ने नसीरुद्दीन शाह के उस हालिया विवादित बयान का जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि एग्जिबिटर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स बॉक्स ऑफिस पर हिट होने वाली फिल्म की कमाई का मोटा हिस्सा खा जाते हैं और फिल्म के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करने वाले लोगों के लिए कमाई का बेहद छोटा हिस्सा छोड़ते हैं.

क्या बोले थे नसीरुद्दीन शाह
बुधवार को फिल्म हैरिटेज फाउंडेशन द्वारा आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए नसीरुद्दीन शाह ने फिल्म इंडस्ट्री में तकनीशियन और प्रोजेक्शनिस्ट्स के संघर्ष और उनकी कठिनाइयों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि बॉक्स ऑफिस पर हिट होने वाली फिल्म की कमाई का बड़ा हिस्सा एग्जिबिटर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स खा जाते हैं. नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि ये लोग दरिंदे हैं.

नसीर के बयान पर एग्जिबिटर अक्षय राठी ने दी प्रतिक्रिया

नसीरुद्धीन शाह के आरोपों के जवाब में एग्जिबिटर अक्षय राठी ने एक लंबा चौड़ा ट्वीट किया. पहले तो उन्होंने फिल्म हैरिटेज फाउंडेशन के अवार्ड कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नसीरुद्दीन शाह का धन्यवाद किया. 

उसके बाद उन्होंने कहा, 'हालांकि मैं फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के पुरस्कार समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए आपका आभारी हूं, जहां तीन प्रोजेक्शनिस्ट को उनके दशकों की सेवा के लिए सम्मानित किया गया. गहरे अफसोस और निराशा के साथ मुझे यह ट्वीट करना पड़ रहा है. एक फिल्म एग्जिबिटर के रूप में मैं एक अरुचिकर और तथ्यात्मक रूप से गलत बयान पर कड़ी आपत्ति जताता हूं. 

जैसा कि लोग कहते हैं कि अज्ञानता खतरनाक है, लेकिन आधा-अधूरा ज्ञान और भी खतरनाक है. आपका बयान, दुर्भाग्य से इंगित करता है कि एक कलाकार के रूप में वर्षों का अनुभव होने के बावजूद आप मनोरंजन क्षेत्र की जमीनी हकीकत से अनजान हैं.'
 

उन्होंने आगे लिखा, 'मुझे आशा है कि आपको एहसास होगा कि आपके जैसे  (अभिनेताओं से लेकर फिल्म बनाने वाले लोगों तक)' जो फिल्म बनाते हैं उनका स्ट्राइक रेट/सफलता का अनुपात 10% से कम होता है और सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली ज्यादातर फिल्म हमारे साप्ताहिक खर्च (रियल ऐस्टेट, बिजली, सैलरी, रखरखाव, टैक्स आदि) को भी नहीं निकाल पाती हैं. 

जब कभी कभार कोई फिल्म हिट होती है तो लाभ का एक बड़ा हिस्सा फ्लॉप और कम कमाई वाली फिल्मों से हुए नुकसान की भरपाई में चला जाता है.' अक्षय ने आगे लिखा कि चाहे फिल्मों का हश्र कुछ भी हो हमें सिनेमा मैनेजरों, प्रोजेक्शनिस्ट, कैंटीन स्टाफ, हाउसकीपिंग टीम, बॉक्स ऑफिस टीम, डिस्ट्रीब्यूश एजेंटस की पूरी सैलरी देनी होती है.

राठी ने कहा,  ‘मुझे लगता है कि नसीरुद्दीन साहब इसे व्यावहारिक दिमाग से देखेंगे और महसूस करेंगे कि उन्होंने जो कहा है वह सच्चाई से बहुत दूर है. महामारी के बाद पिछले कुछ वर्षों में फिल्म एक्जिबिशन क्षेत्र को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. मुनाफा कमाने की बात तो भूल ही जाएं. इन विपरीत परिस्थितियों में भी हम आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.’

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