प्रोपगैंडा का ठप्पा मत लगाओ...'धुरंधर' के एक्टर ने ध्रुव राठी को लताड़ा
एक इंटरव्यू में नवीन कौशिक से जब फिल्म को मिल रहे बैकलैश के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि आलोचना से उन्हें दुख होता है, लेकिन इसे सकारात्मक तरीके से देखना चाहिए.
मुंबई: निर्देशक आदित्य धर की स्पाई थ्रिलर फिल्म 'धुरंधर' रिलीज के तीन हफ्ते बाद भी सिनेमाघरों में तहलका मचा रही है. रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना अभिनीत यह फिल्म वैश्विक स्तर पर 900 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है और 2025 की सबसे बड़ी हिट बन गई है. दर्शकों से मिल रही भारी सराहना के बीच फिल्म को 'प्रोपगैंडा' और 'एजेंडा आधारित' बताने वाली आलोचनाएं भी सामने आ रही हैं. हाल ही में यूट्यूबर ध्रुव राठी ने अपने वीडियो में फिल्म को 'खतरनाक प्रोपगैंडा' करार दिया था, जिस पर अब फिल्म में 'डोंगा' का किरदार निभाने वाले अभिनेता नवीन कौशिक ने खुलकर प्रतिक्रिया दी है.
एक इंटरव्यू में नवीन कौशिक से जब फिल्म को मिल रहे बैकलैश के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि आलोचना से उन्हें दुख होता है, लेकिन इसे सकारात्मक तरीके से देखना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा, "फिल्म की बनावट, सिनेमा के मानकों और गुणवत्ता पर चर्चा कीजिए. अगर आपको लगता है कि यह खराब बनी है, तो उस पर बात करें. लेकिन कुछ हिस्सों को अलग निकालकर इसे विचारधारा या प्रोपगैंडा बनाने की कोशिश न करें."
हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बनाने की कोशिश न करें
नवीन ने आगे कहा कि कुछ लोग फिल्म को हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो गलत है. उनका तर्क है कि अगर यह एजेंडा आधारित फिल्म होती, तो मुस्लिम टेक्नीशियन इसमें काम नहीं करते. ध्रुव राठी के वीडियो पर टिप्पणी करते हुए नवीन ने व्यंग्यपूर्ण अंदाज में कहा कि वे राय रखने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन फिल्म से जुड़े होने के कारण वे सहमत नहीं हैं. साथ ही, "उनके वीडियो को हमारी फिल्म की लोकप्रियता से व्यूज मिले, बधाई हो."
फिल्म की सफलता पर नवीन ने बताया कि टीम को संवेदनशील विषयों पर प्रतिक्रियाओं की उम्मीद थी, लेकिन दर्शकों का इतना जबरदस्त समर्थन अप्रत्याशित था. 'धुरंधर' में एक्शन, जासूसी और वास्तविक घटनाओं से प्रेरित कहानी ने दर्शकों को बांधे रखा है. फिल्म का दूसरा भाग भी तैयार है, जिसमें एक्शन और रहस्य को और बढ़ाया जाएगा.
बॉक्स ऑफिस पर धुरंधर की धूम
विवादों के बावजूद 'धुरंधर' की बॉक्स ऑफिस यात्रा जारी है और यह भारतीय सिनेमा में नई बहस छेड़ रही है क्या फिल्में मनोरंजन के साथ सामाजिक मुद्दों को छू सकती हैं, या इसे प्रोपगैंडा का ठप्पा लगाना उचित है? दर्शक खुद फैसला कर रहे हैं, और नतीजे फिल्म की कमाई में साफ दिख रहे