Dhirendra Shastri: प्रयागराज के महाकुंभ में किन्नर अखाड़े के बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस रह चुकी ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त किए जाने को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक के बाद एक हर कोई इस फैसले पर सवाल उठा रहा है. इसके साथ ही अब बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस फैसला पर सवाल खड़े करते हुए इसे सनातन धर्म की परंपराओं के खिलाफ बताया है.
रविवार को पवित्र स्नान के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'किसी को बाहरी प्रभाव में आकर संत या महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? हम खुद अब तक महामंडलेश्वर नहीं बन पाए हैं.'
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उपाधि केवल उन लोगों को दी जानी चाहिए जो सच्चे संत भाव के साथ धर्म की सेवा करते हैं.
इससे पहले, ट्रांसजेंडर कथावाचक जगतगुरु हिमांगी सखी मां ने भी ममता कुलकर्णी की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. हिमांगी ने कहा, 'ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े ने प्रचार के लिए महामंडलेश्वर बनाया है. समाज उनके अतीत को अच्छी तरह जानता है. उनकी यह नियुक्ति सनातन धर्म की परंपराओं को कमजोर करती है.' उन्होंने कुलकर्णी के विवादास्पद अतीत और कथित ड्रग मामलों का हवाला देते हुए कहा कि इस निर्णय की गहन जांच होनी चाहिए.
आलोचनाओं के बीच ममता कुलकर्णी ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा, 'यह महादेव, महाकाली और मेरे गुरु का आदेश था. मैंने यह फैसला खुद नहीं लिया.' बता दें की बॉलीवुड में अपना जलवा दिखा चुकी एक्ट्रेस ममला कुलकर्णी ने 23 साल पहले अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का जिक्र करते हुए कहा कि उनका संन्यास महाकुंभ में उनका आध्यात्मिक समर्पण है. उन्होंने अब ममता नंद गिरि नाम अपना लिया है.
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास ने कुलकर्णी की नियुक्ति पर कहा, 'महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया सरल है. यह सेवा पर आधारित है. हर अखाड़े के अपने नियम हैं, लेकिन सेवा का भाव सर्वोपरि है.' कुलकर्णी की नियुक्ति को लेकर धर्मगुरुओं और समाज के बीच बहस छिड़ गई है. एक ओर, कुछ इसे सनातन परंपराओं का हिस्सा मानते हैं, तो दूसरी ओर, यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इस तरह की नियुक्तियां धर्म और समाज की पवित्रता को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
ममता कुलकर्णी ने बताया कि उनकी आध्यात्मिक यात्रा कुपोली आश्रम में गुरु श्री चैतन्य गगन गिरि के मार्गदर्शन में शुरू हुई थी. उनका मानना है कि महाकुंभ के इस पवित्र अवसर पर उनका संन्यास एक बड़ा आध्यात्मिक पड़ाव है.