नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज हुई 'दिल्ली क्राइम सीजन 3' एक बार फिर समाज के काले सच को सामने लाती है. इस बार कहानी है मानव तस्करी की. मासूम बच्चे, गरीब परिवार और लालची गैंग – सबको जोड़ती ये वेब सीरीज देखते वक्त गुस्सा, दुख और बेबसी एक साथ महसूस होते हैं. लेकिन क्या ये सीजन पहले दो सीजन्स जितना रोमांचक है? चलिए बताते हैं...
कहानी जो दिल में उतरती है मैडम सर यानी वार्तिका चतुर्वेदी (शेफाली शाह) फिर लौट आई हैं. इस बार उनका सामना एक ऐसे गिरोह से है जो बच्चों को बेचता है – कभी मजदूरी के लिए, कभी देह व्यापार के लिए. कहानी दिल्ली की गलियों से शुरू होकर नेपाल बॉर्डर तक जाती है. हर एपिसोड में एक नया खुलासा, एक नया शिकार. लेकिन सबसे दर्दनाक है समाज की उदासीनता. लोग देखते हैं, सुनते हैं, फिर भूल जाते हैं.
नीरजा शेख (रसिका दुग्गल) इस बार और गुस्से में हैं. वो वार्तिका से उलझती हैं, सवाल उठाती हैं, लेकिन अंत में टीम के लिए खड़ी होती हैं. हुमा कुरैशी नए किरदार में हैं – एक एनजीओ वर्कर, जो सिस्टम से लड़ती है. उनका रोल छोटा है, लेकिन हर सीन में असर छोड़ता है. तिलोटमा शोम और सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम भी सरप्राइज पैकेज हैं.
दिल्ली की तंग गलियां, बदबूदार नाले, भीड़भाड़ – सब कुछ असली लगता है. सच्ची घटनाएं: कहानी काल्पनिक है, लेकिन आधार वास्तविक मामलों से लिया गया है. 'हम अपराधी पकड़ते हैं, अपराध नहीं रोकते' – ये लाइन सालों याद रहेगी.
पहले दो सीजन्स में जो सस्पेंस था, वो यहां कम है. अपराधी का पता शुरू से ही लगभग चल जाता है. चेज सीन कम हैं, इमोशन्स ज्यादा. कई जगह कहानी धीमी पड़ जाती है. अगर आप इस वेब सीरीज में एक्शन और ट्विस्ट की उम्मीद कर रहे हैं, तो थोड़ा निराश हो सकते हैं. ये 2025 की सबसे मजबूत क्राइम सीरीज में से एक है.