मुंबई: अनुराधा पौडवाल का जन्म 27 अक्टूबर 1954 को कर्नाटक के कारवार में हुआ, लेकिन उनका बचपन मुंबई में बीता. उनका असली नाम अलका नाडकर्णी था, जिसे उन्होंने शादी के बाद बदलकर अनुराधा पौडवाल रख लिया. बचपन से ही उन्हें संगीत का गहरा लगाव था, लेकिन उन्होंने कभी इसकी ट्रेनिंग नहीं लि. उन्होंने लता मंगेशकर के गानों को सुनकर अपनी आवाज को निखारा. धीरे-धीरे उनकी गायकी में ऐसी मिठास और गहराई आई कि हर सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता था.
अनुराधा ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म ‘अभिमान’ से की, जिसमें उन्होंने जया भादुरी के लिए एक श्लोक गाया था. भले ही यह छोटा गाना था, लेकिन इसी ने उनके संगीत सफर की नींव रखी. इसके बाद उन्होंने ‘जानेमन’, ‘उधार का सिंदूर’, ‘लैला मजनू’, ‘सरगम’, और ‘एक ही रिश्ता’ जैसी कई फिल्मों में अपनी आवाज दी.
90 के दशक में अनुराधा का करियर शिखर पर पहुंच गया. फिल्मों ‘आशिकी’, ‘दिल है कि मानता नहीं’ और ‘बेटा’ के गानों ने उन्हें सुपरस्टार सिंगर बना दिया. उन्होंने लगातार तीन बार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतकर यह साबित किया कि प्रतिभा औपचारिक ट्रेनिंग की मोहताज नहीं होती.
अनुराधा पौडवाल ने करीब 554 फिल्मों में गाने गाए. उन्होंने हिंदी के अलावा पंजाबी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु और नेपाली भाषाओं में भी अपनी आवाज दी. उनके पति अरुण पौडवाल, जो एस.डी. बर्मन के सहायक संगीतकार थे, का निधन हो गया था. इसके कुछ समय बाद टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया.
इन दो बड़े हादसों के बाद अनुराधा ने तय किया कि अब वे केवल भक्ति गीत ही गाएंगी. यह फैसला उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ.
अनुराधा ने बॉलीवुड के ग्लैमर से दूर रहकर अपने भक्ति गीतों से करोड़ों भक्तों के दिलों में जगह बनाई. उनके भजन, आरती और देवी-देवताओं पर आधारित गीत आज भी हर मंदिर, घर और उत्सव में गूंजते हैं. उनकी बेटी कविता पौडवाल ने भी उनकी ही राह पर चलते हुए भक्ति संगीत को अपना करियर बनाया.