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'अंग्रेंजो ने 200 और मुगलों ने 500 साल में जो नुकसान किया, उससे ज्यादा बॉलीवुड ने किया', अनिरुद्धाचार्य ने रणवीर सिंह को क्यों लपेटा?

मशहूर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने बॉलीवुड पर तीखा हमला बोला है, जिससे सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है. हाल ही में एक स्पेशल बातचीत में अनिरुद्धाचार्य ने बॉलीवुड की संस्कृति और उसके प्रभाव पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड ने भगवान श्रीकृष्ण जैसे पवित्र चरित्रों का अनादर किया है.

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Aniruddhacharya Controversy: मशहूर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने बॉलीवुड पर तीखा हमला बोला है, जिससे सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है. हाल ही में एक स्पेशल बातचीत में अनिरुद्धाचार्य ने बॉलीवुड की संस्कृति और उसके प्रभाव पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड ने भगवान श्रीकृष्ण जैसे पवित्र चरित्रों का अनादर किया है. एक मशहूर फिल्मी डायलॉग, "तुम करो तो रासलीला, हम करें तो कैरेक्टर ढीला," का जिक्र करते हुए उन्होंने बॉलीवुड पर पाखंड का आरोप लगाया.

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने बॉलीवुड पर बोला बड़ा हमला

अनिरुद्धाचार्य ने बॉलीवुड सितारों पर पान मसाला और गुटखा जैसी चीजों का प्रचार करने का भी गंभीर इल्जाम लगाया. उन्होंने कहा, "दाने-दाने में केसर का दम बोलने वाले ये सितारे समाज को गलत दिशा में ले जा रहे हैं." कथावाचक ने सरकार से गुटखा और पान मसाला के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि गुटखा प्रचार करने वालों को कोई नहीं रोकता, लेकिन उनके बयानों पर हंगामा मच जाता है.

'पुरुषों का निरवस्त्र होना भी गलत'

अनिरुद्धाचार्य का मानना है कि बॉलीवुड ने देश की संस्कृति को उतना ही नुकसान पहुंचाया है, जितना अंग्रेजों ने किया था. इतना ही नहीं रणवीर सिंह को लपेटे में लेते हुए अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि सिर्फ महिलाओं का निरवस्त्र होना ही नहीं बल्कि पुरुषों का निरवस्त्र होना भी गलत है. तब भी मैंने कहा था कि यह एकदम असभ्य है.

इसके साथ ही अनिरुद्धाचार्य ने अपनी हाल की विवादित टिप्पणियों का बचाव करते हुए कहा कि उनके बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया. उन्होंने दावा किया कि उनके वीडियो का केवल 30 सेकंड का हिस्सा वायरल किया गया, जबकि पूरा 6 मिनट का वीडियो है. उन्होंने "मुंह मारना" जैसे शब्दों के इस्तेमाल को गांव की भाषा का हिस्सा बताया और कहा कि उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था.