नई दिल्ली: नया साल आते ही हम तारीख और महीने बदलने की आदत में खो जाते हैं, लेकिन कैलेंडर के पन्नों में इंसानी सभ्यता का लंबा सफर दर्ज है. दुनिया के सबसे प्रभावशाली प्राचीन कैलेंडरों में रोमन प्रणाली का नाम प्रमुखता से आता है, जिसने महीनों के नामकरण की दिशा ही बदल दी.
आज जिन महीनों को हम सामान्य नामों से जानते हैं, वे कभी देवताओं की आराधना, प्रकृति के बदलाव और संख्याओं के क्रम से पहचाने जाते थे. यह कहानी बदलाव, विकास और नई शुरुआत की सकारात्मक सीख देती है कि समय बदलता है, नाम बदलते हैं, लेकिन इतिहास हमेशा हमें दिशा देता है.
यह महीना युद्ध के देवता मार्स के नाम पर रखा गया था. रोमन वर्ष यहीं से शुरू होता था. इसे सैन्य अभियानों और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता था.
अप्रिलिस लैटिन शब्द aperire से बना, जिसका अर्थ ‘खिलना’ है. इसी मौसम में रोम में वसंत आता था और रंग-बिरंगे फूल जीवन का उत्सव बन जाते थे.
माईयस रोमन देवी मेया के नाम से आया. मेया पृथ्वी की उर्वरता, नई उम्मीद और प्रकृति के विस्तार की देवी मानी जाती थीं.
जूनियस देवी जूनो के नाम पर रखा गया, जो विवाह, परिवार और महिलाओं की रक्षा की देवी थीं. यह महीना रिश्तों की मजबूती का संदेश देता था.
क्विंटिलिस का अर्थ ‘पांचवां’ था. बाद में इसे सम्राट जूलियस सीज़र के नाम पर जुलाई कर दिया गया. यह नाम परिवर्तन नेतृत्व और प्रभाव की निशानी बना.
सेक्सटिलिस ‘छठा’ महीना था, जिसे सम्राट ऑगस्टस के सम्मान में अगस्त कहा गया. यह सत्ता सुधार और प्रशासनिक बदलाव का प्रतीक बना.
सेप्टेम्बर का अर्थ ‘सात’ था. रोमन वर्ष में यह सातवें स्थान पर आता था. यह नाम अपने मूल क्रम की पहचान आज भी बचाए हुए है.
ऑक्टोबर लैटिन में ‘आठ’ को दर्शाता था. रोमन कैलेंडर में यह आठवां महीना था, जो मौसमी बदलाव और संतुलन की भावना से जुड़ा था.
नोवेम्बर ‘नौवां’ महीना था. नाम में संख्या छिपी रही, लेकिन इसकी पहचान रोमन प्रणाली की सटीकता को दर्शाती है.
डिसेम्बर का अर्थ ‘दस’ था. यह रोमन वर्ष का अंतिम महीना था, जो साल समापन और नए आरंभ की तैयारी का संकेत देता था.
जनुअरियस देवता जेनस के नाम से आया, जिन्हें द्वार और शुरुआत का देवता माना गया. नूमा पोंपिलियस ने सुधार के बाद इसे साल का पहला महीना बनाया.
फेब्रुअरियस रोमन शुद्धिकरण अनुष्ठान Februa से आया. यह महीना आत्मा, घर और विचारों की शुद्धि से जोड़ा गया.