नई दिल्ली: राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025 का संदेश पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है. तेजी से बदलते बाजार, ऑनलाइन खरीदारी और डिजिटल सेवाओं के दौर में उपभोक्ता धोखाधड़ी के तरीके भी आधुनिक हुए हैं. 24 दिसंबर का यह दिन आम लोगों को यह याद दिलाता है कि अधिकार सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि रोजमर्रा की खरीद और सेवाओं में भी लागू होते हैं. उपभोक्ता को जागरूक करना ही इस दिन की बुनियाद है.
यह दिन भारत में निष्पक्ष व्यापार और ग्राहक सुरक्षा की आवाज को मजबूत करता है. RFID कार्ड, डिजिटल भुगतान, ई-कॉमर्स और तेजी से फैलते उपभोक्ता बाजार ने कानूनों को और ज्यादा प्रासंगिक बनाया है. 1986 और 2019 के अधिनियम ने उपभोक्ताओं को कानूनी शक्ति दी, ताकि वे शोषण, मिलावट और खराब सेवाओं के खिलाफ आवाज उठा सकें. जागरूक ग्राहक ही सुरक्षित ग्राहक है, यही इस दिन का मूल मंत्र है.
भारत में 24 दिसंबर को यह दिवस इसलिए मनाया जाता है, ताकि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की कानूनी ताकत और सही उपयोग की जानकारी मिल सके. तेजी से बढ़ते धोखाधड़ी, गलत विज्ञापन, मिलावट और खराब सेवाओं के मामलों ने इस दिन की जरूरत को और बढ़ाया है. उपभोक्ता को यह बताया जाता है कि सतर्क रहकर और अधिकारों की समझ रखकर वे किसी भी गलत व्यवहार का विरोध कर सकते हैं.
24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित हुआ था, जिसने ग्राहक सुरक्षा की नींव रखी. इस कानून ने शोषण, मिलावट, खराब उत्पाद और धोखाधड़ी से बचाव के लिए उपभोक्ता को स्पष्ट अधिकार दिए. यह अधिनियम बाजार में ग्राहक की भूमिका को मजबूती देता है और उन्हें कानूनी मंच पर अपनी शिकायत रखने का अधिकार देता है. यह दिन उसी ऐतिहासिक कदम की याद को जीवित रखता है.
डिजिटल बाजार के विस्तार के बाद 2019 में नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया गया. इसका उद्देश्य ऑनलाइन खरीद, डिजिटल सेवाओं और ई-कॉमर्स से जुड़े विवादों में उपभोक्ता को कानूनी सुरक्षा देना था. यह अधिनियम उपभोक्ताओं को तेज शिकायत समाधान, डेटा सुरक्षा, गलत विज्ञापनों पर रोक और डिजिटल फ्रॉड से बचाव का मजबूत कवच प्रदान करता है. इससे ग्राहक डिजिटल लेन-देन में भी सुरक्षित महसूस कर सकते हैं.
इस दिवस का एक प्रमुख संदेश निष्पक्ष व्यापार और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है. उपभोक्ताओं को यह भरोसा दिया जाता है कि अगर उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वे कानूनी मदद ले सकते हैं. यह दिन समाज में व्यापारिक नैतिकता, ग्राहक सम्मान और जागरूकता का वातावरण बनाने में मदद करता है. उपभोक्ता को अपने अधिकारों के प्रति आत्मविश्वासी बनाना इस दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
यह दिवस उपभोक्ताओं को शिकायत दर्ज कराने और कानूनी कदम उठाने का साहस देता है. अगर ग्राहक के अधिकारों का खंडन होता है, तो वे उपभोक्ता आयोग में शिकायत कर सकते हैं. सरकार और संस्थाएं भी इस दिन नए जागरूकता अभियान चलाती हैं, ताकि उपभोक्ता सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके. अधिकारों की जानकारी और सही समाधान ही उपभोक्ता सशक्तिकरण की असली पहचान है.