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Hindi Diwas 2025 Wishes: हिंदी दिवस पर अपनों को भेजें ये खास शुभकामनाएं, हर कोई हो जाएगा खुश

Hindi Diwas 2025 Wishes: हिंदी दिवस 2025 पूरे देश में 14 सितंबर को उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. यह दिन मातृभाषा हिंदी की महत्ता, गौरव और राष्ट्रीय अस्मिता को याद दिलाता है. लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं, संदेश और प्रेरणादायक उद्धरण भेजकर हिंदी के प्रति अपने प्रेम और गर्व को साझा कर रहे हैं.

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Edited By: Babli Rautela
Hindi Diwas 2025 Wishes
Courtesy: IDL

Hindi Diwas 2025 Wishes: हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह दिन भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि हिंदी न केवल हमारी मातृभाषा है बल्कि देश की पहचान और गौरव का भी प्रतीक है. हिंदी भारत की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और यह विविधताओं से भरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती है.

हिंदी दिवस का आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि अपनी मातृभाषा के सम्मान और गौरव को बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है. जैसा कि एक प्रसिद्ध पंक्तियों में कहा गया है, 'निज भाषा का नहीं गर्व जिसे, क्या प्रेम देश से होगा उसे, वही वीर देश का प्यारा है, हिंदी ही जिसका नारा है.'

हिंदी दिवस पर प्रेरणादायक संदेश

इस खास मौके पर लोग एक-दूसरे को संदेश और शुभकामनाएं भेजकर हिंदी के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं. यहां कुछ चुनिंदा संदेश दिए जा रहे हैं जिन्हें आप अपने दोस्तों और परिजनों को भेज सकते हैं,

  • 'ये बोली आन है मेरी, विरासत मान मेरा है, यही पहचान है अपनी, यही अभिमान मेरा है. हमारी शान है हिन्दी, ये हिन्दुस्तान मेरा है.'
  • 'हिन्दुस्तान की है शान हिंदी, हर हिन्दुस्तानी की है पहचान हिंदी, एकता की अनुपम परम्परा है हिंदी, हर दिल का अरमान है हिंदी.'
  • 'विविधताओं से भरे इस देश में लगी भाषाओं की फुलवारी है, इनमें हमको सबसे प्यारी हिन्दी मातृभाषा हमारी है.'
  • 'हिंदी दिवस पर हमने ठाना है, लोगों में हिंदी का स्वाभिमान जगाना है. हम सब का अभिमान है हिंदी, भारत देश की शान है हिंदी.'

समाज के लिए हिंदी दिवस का संदेश

हिंदी दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि यह एक आंदोलन है जो हमें अपनी भाषा के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराता है. आज की पीढ़ी को यह समझना जरूरी है कि अंग्रेजी या दूसरी विदेशी भाषाएं सीखना अच्छी बात है, लेकिन अपनी मातृभाषा हिंदी की उपेक्षा करना उचित नहीं है. हिंदी हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और दुनिया के सामने भारत की सशक्त पहचान बनकर उभरती है.