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India Daily

दिल्ली हाईकोर्ट का पेरेंट्स को 50 प्रतिशत बढ़ी हुई फीस देने का आदेश, छात्रों को कक्षाओं में आने देने का निर्देश

अदालत ने 102 अभिभावकों की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें स्कूल में चल रही फीस वृद्धि के मुद्दे के बीच अपने बच्चों की सुरक्षा की मांग की गई थी. डीपीएस द्वारका याचिका में कहा गया है कि स्कूल को सरकार और राजधानी के उपराज्यपाल द्वारा अपने नियंत्रण में लिया जाना चाहिए. 

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Edited By: Reepu Kumari
Delhi High Court DPS Dwarka fee dispute
Courtesy: Pinterest

DPS Dwarka fee dispute: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पब्लिक स्कूल, द्वारका के साथ फीस विवाद में शामिल 100 से अधिक अभिभावकों को निर्देश दिया है कि वे शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए बढ़ी हुई फीस का 50% भुगतान करें, साथ ही पूर्ण आधार शुल्क का भुगतान जारी रखें. दिल्ली हाई कोर्ट 100 से अधिक माता-पिता को निर्देशित किया है. दिल्ली द्वारका स्थित पब्लिक स्कूल को बढ़ी हुई फीस का 50 प्रतिशत जमा कराना होगा. शैक्षणिक वर्ष 2025-26 जिसके बाद उनके बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.

न्यायमूर्ति विकास महाजन ने 16 मई को जारी आदेश में, जो बुधवार रात को जारी किया गया, स्पष्ट किया कि 50 प्रतिशत की छूट फीस के बढ़े हुए हिस्से पर है औरआधार शुल्कपूरा भुगतान किया जाना चाहिए.

102 अभिभावकों की याचिका 

अदालत ने 102 अभिभावकों की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें स्कूल में चल रही फीस वृद्धि के मुद्दे के बीच अपने बच्चों की सुरक्षा की मांग की गई थी. डीपीएस द्वारका याचिका में कहा गया है कि स्कूल को सरकार और राजधानी के उपराज्यपाल द्वारा अपने नियंत्रण में लिया जाना चाहिए. 

क्या था आरोप?

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले कुछ सालों में स्कूल ने अभिभावकों से अस्वीकृत फीस वसूलने के लिए दबाव डाला है और बलपूर्वक तरीके अपनाए हैं, जिन्होंने अस्वीकृत फीस का भुगतान न करने पर जोर दिया है. अभिभावकों ने दावा किया कि स्कूल ने बाउंसरों को रखकर अस्वस्थ, गंदे और अमानवीय व्यवहार" का सहारा लिया है, जबकि उन्हें लगता है कि बाउंसर शिक्षकों की तुलना में बच्चों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं.

अदालत का फैसला 

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत उसे संतुष्ट नहीं करती है क्योंकि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं रखा गया है कि दिल्ली सरकार की अंतरिम राहत से कोई लेना-देना नहीं है.शिक्षा निदेशालय(डो) ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 से आगे के लिए स्कूल द्वारा फीस निर्धारण को अस्वीकार कर दिया है.

फीस वृद्धि

इसमें कहा गया है कि जब तक शिक्षा निदेशालय स्कूल के वित्तीय विवरणों की समीक्षा नहीं करता और अपने निष्कर्षों के आधार पर शैक्षणिक सत्र 2024-25 से आगे के लिए फीस वृद्धि के विवरण को शिक्षा के मुनाफाखोरी और व्यावसाकरण की कसौटी पर खारिज नहीं कर देता, तब तक ऊपर उल्लिखित कानून में फीस में ऐसी वृद्धि पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.

दिल्ली सरकार से जवाब

अदालत ने मुख्य याचिका पर स्कूल, उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है तथा मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त तय की है. अभिभावकों के वकील ने कहा कि स्कूल ने फीस में 7,000 रुपये प्रति माह की वृद्धि की थी और अब इसमें 9,000 रुपये मासिक की वृद्धि कर दी है.