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India Daily

Small savings schemes: PPF, NSC, सुकन्या समृद्धि, डाकघर... स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर सरकार ने जारी की नई ब्याज दरें

PPF (7.1%), NSC (7.7%), सुकन्या समृद्धि (8.2%) और NCSS (8.2%) जैसी लोकप्रिय स्कीमों पर ब्याज दर अपरिवर्तित बनी हुई है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
PPF, NSC, Sukanya Samriddhi, Post Office Government releases new interest rates on small savings sch
Courtesy: pixabay

Interest Rate On Small Savings Schemes: वित्त मंत्रालय ने 30 सितंबर 2025 को छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा की, जिसमें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), और सुकन्या समृद्धि खाता (SSA) सहित अन्य डाकघर योजनाओं की ब्याज दरें अपरिवर्तित रखी गईं. यह दरें अक्टूबर-दिसंबर 2025 तिमाही के लिए लागू होंगी.

रेपो दर में कटौती के बावजूद ब्याज दरें स्थिर

इस वर्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो दर में तीन बार कटौती की. जनवरी में रेपो दर 6.5% थी, जिसे फरवरी और अप्रैल में 25-25 आधार अंकों और जून में 50 आधार अंकों की कमी के साथ 1% घटाया गया. इसके बावजूद, सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर रखीं, जो निवेशकों के लिए राहत की बात है.

G-Sec यील्ड में कमी

छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें निर्धारित करने का आधार सरकारी बॉन्ड (G-Sec) यील्ड है. 10-वर्षीय G-Sec यील्ड 1 जनवरी 2025 को 6.78% से घटकर 24 सितंबर 2025 को 6.45% हो गई. श्यामला गोपीनाथ समिति के फॉर्मूले के अनुसार, PPF की दर G-Sec यील्ड से 25 आधार अंक अधिक होनी चाहिए, जो औसतन 6.66% बनती है, जबकि वर्तमान PPF दर 7.1% है.

पिछली बार कब बदली थीं दरें?

आखिरी बार ब्याज दरों में बदलाव जनवरी-मार्च 2024 में हुआ था, जब 3-वर्षीय सावधि जमा की दर 7% से बढ़ाकर 7.1% और सुकन्या समृद्धि योजना की दर 8% से 8.2% की गई थी.

वर्तमान ब्याज दरें (जुलाई-सितंबर 2025)

0- सेविंग्स पर 4%
1-वर्षीय सावधि जमा: 6.9%
2-वर्षीय सावधि जमा: 7%
3-वर्षीय सावधि जमा: 7.1%
5-वर्षीय सावधि जमा: 7.5%
5-वर्षीय आवर्ती जमा: 6.7%
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना: 8.2%
मासिक आय योजना: 7.4%
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट: 7.7%
पब्लिक प्रोविडेंट फंड: 7.1%
किसान विकास पत्र: 7.5% (परिपक्वता 115 माह)
सुकन्या समृद्धि खाता: 8.2%

निवेशकों के लिए महत्व

करोड़ों भारतीय, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक और मध्यम वर्ग, स्थिर रिटर्न के लिए छोटी बचत योजनाओं पर निर्भर हैं. ब्याज दरों में कमी उनकी आय को प्रभावित करती है. सरकार गोपीनाथ समिति के दिशानिर्देशों और सामाजिक जरूरतों के बीच संतुलन बनाए रखती है.