Insurance Premium: भारत की बीमा इंडस्ट्री सरकार से वितरण (डिस्ट्रीब्यूशन) लागत और कमीशन पर GST की दरों में कमी की मांग कर रही है. उद्योग का मानना है कि इससे बीमा पॉलिसियों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा और सरकार के "सभी के लिए बीमा" लक्ष्य को बल मिलेगा. व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी हटाने का फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन गैर-जीवन बीमा कंपनियों पर वितरण लागत के कारण 6-7% का वित्तीय प्रभाव पड़ रहा है.
बीमा क्षेत्र, जो भारत में वित्तीय सुरक्षा का आधार है, अब सरकार के साथ मिलकर एक नई राह तलाश रहा है. उद्योग के दिग्गजों का कहना है कि कमीशन और वितरण लागत पर जीएसटी कम करने से न केवल बीमा सस्ता होगा, बल्कि ग्रामीण और छोटे शहरों में भी इसकी पहुंच बढ़ेगी. यह कदम सरकार के "बीमा सबके लिए" मिशन को गति दे सकता है, जिससे हर भारतीय को वित्तीय सुरक्षा का लाभ मिल सके.
मुनाफे को 6-7% तक कम कर रहा जीएसटी
बीमा कंपनियों के लिए पॉलिसी बेचने की लागत एक बड़ा खर्च है. सूत्रों के मुताबिक, कमीशन और ब्रोकरेज पर लगने वाला 18% जीएसटी उद्योग के मुनाफे को 6-7% तक कम कर रहा है. खासकर स्वास्थ्य बीमा पर निर्भर कंपनियों पर इसका असर ज्यादा है. उद्योग का कहना है कि जीएसटी में कमी से यह बोझ हल्का होगा, जिससे पॉलिसी धारकों को सस्ती सेवाएं मिल सकेंगी.
प्रीमियम पर जीएसटी छूट
सरकार ने हाल ही में व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से 18% जीएसटी हटाने का ऐलान किया है. यह फैसला आम लोगों के लिए राहत भरा है, क्योंकि इससे बीमा पॉलिसियां पहले से कहीं अधिक किफायती हो जाएंगी. खासकर मध्यम और निम्न-आय वर्ग के परिवारों को इसका सीधा लाभ मिलेगा. लेकिन उद्योग का कहना है कि यह केवल पहला कदम है.
इनपुट टैक्स क्रेडिट का अभाव: नई मुश्किल
वितरण लागत पर जीएसटी कम करने की मांग के साथ-साथ उद्योग इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) न मिलने की समस्या से भी जूझ रहा है. कमीशन, ब्रोकरेज और प्रशासनिक सेवाओं पर आईटीसी की अनुपलब्धता से कंपनियों का वित्तीय बोझ बढ़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस दिशा में नीतिगत बदलाव से बीमा क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी.
गेम चेंजर साबित हो सकता है यह कदम
बीमा उद्योग का मानना है कि जीएसटी में कमी और नीतिगत सुधार न केवल कंपनियों के लिए फायदेमंद होंगे, बल्कि ग्राहकों को भी सस्ती और बेहतर सेवाएं मिलेंगी. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां बीमा की पहुंच अभी सीमित है, यह कदम गेम-चेंजर साबित हो सकता है. सरकार और उद्योग के बीच चल रही बातचीत से जल्द सकारात्मक नतीजे की उम्मीद है.