भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध दशकों से मजबूत रहे हैं, लेकिन हालिया फैसले से इन रिश्तों में तनाव पैदा हो गया है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के निर्यात उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का फैसला भारत के औद्योगिक जगत के लिए किसी झटके से कम नहीं है. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए इसे न केवल निर्यात के लिए हानिकारक बताया, बल्कि दोनों देशों के बीच भरोसे को भी प्रभावित करने वाला बताया है.
FICCI के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत के उत्पादों पर 25% शुल्क और सेकेंडरी प्रतिबंध लगाना बेहद निराशाजनक है. उनका मानना है कि इस कदम से भारत के निर्यातकों को सीधा नुकसान होगा और व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कदम केवल अल्पकालिक होगा और जल्द ही भारत-अमेरिका के बीच एक स्थायी व्यापार समझौता हो जाएगा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत और अमेरिका के लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक संबंधों को इस तरह के फैसले से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
On the US imposing 25% tariffs on India, Harsha Vardhan Agarwal, President, FICCI, says, "FICCI is disappointed by the decision taken by the U.S. to levy 25% tariff on exports from India and impose secondary sanctions. While this move is unfortunate and will have a clear bearing… pic.twitter.com/TUWrD6zqH5
— ANI (@ANI) July 30, 2025
अमेरिका की यह सख्ती केवल टैरिफ तक सीमित नहीं रही. भारत द्वारा रूस के साथ तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद-फरोख्त को लेकर भी अमेरिका ने कड़ा रुख अपनाया है. इस पर भी फिक्की ने चिंता जताई है. उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता पर असर डाल सकती है. हालांकि, फिक्की का विश्वास है कि बातचीत के जरिए इन मुद्दों का समाधान संभव है. भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और सुरक्षा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है.
फिक्की के अध्यक्ष ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर गंभीर चर्चाएं चल रही हैं और सितंबर-अक्टूबर 2025 तक एक ठोस समझौता सामने आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के पास मिलकर काम करने की असीम संभावनाएं हैं. अमेरिका जहां भारत के लिए एक बड़ा निर्यात बाजार है, वहीं भारत अमेरिकी कंपनियों के लिए एक व्यापक उपभोक्ता आधार, कुशल प्रतिभा और उत्पादन क्षमता प्रदान करता है. फिक्की को विश्वास है कि इन चर्चाओं से दोनों देशों को लाभ होगा और व्यापारिक रिश्ते और भी मजबूत होंगे.