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India Daily

चार साल की डिग्री का दौर खत्म, अब भविष्य में नौकरी के लिए..: निखिल कामथ ने लोगों को दी बेहद जरूरी टिप्स

उनकी टिप्पणी विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025’ के बाद आई, जिसमें दशक के अंत तक स्किल गैप, ऑटोमेशन और उद्योगों में बड़े पैमाने पर बदलाव की चेतावनी दी गई.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
 era of the four-year college degree is over. Lifelong learning is now the new norm, for everyone, s

वैश्विक नौकरी बाजार में तेजी से बदलाव आ रहा है, जहां पारंपरिक शिक्षा प्रणाली तकनीकी नवाचारों और बदलती कार्यबल जरूरतों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ रही है. जेरोधा के कोफाउंडर निखिल कामथ ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इस बदलाव की तात्कालिकता को रेखांकित किया. कामथ ने लिखा, “चार साल की कॉलेज डिग्री का दौर खत्म हो चुका है. आजीवन सीखना अब नया मानदंड है, हर किसी के लिए.”

विश्व आर्थिक मंच की चेतावनी

उनकी टिप्पणी विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025’ के बाद आई, जिसमें दशक के अंत तक स्किल गैप, ऑटोमेशन और उद्योगों में बड़े पैमाने पर बदलाव की चेतावनी दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, यदि तत्काल कौशल उन्नयन और पुनर्कौशल पर ध्यान नहीं दिया गया, तो लाखों कर्मचारी पीछे छूट सकते हैं. WEF ने अनुमान लगाया कि 2030 तक प्रत्येक नौ में से एक कर्मचारी- लगभग 11% को कोई प्रशिक्षण नहीं मिलेगा.

कौशल मांग और बदलाव

रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक कार्यबल में 100 कर्मचारियों में से 41 को कौशल उन्नयन की जरूरत नहीं होगी, 29 को उनकी वर्तमान भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, 19 को नई भूमिकाओं के लिए पुनर्कौशल मिलेगा, और 11 को प्रशिक्षण से वंचित रखा जाएगा. 2030 तक नेतृत्व, विश्लेषणात्मक सोच और रचनात्मकता जैसे 39% मूल कौशल अप्रासंगिक हो जाएंगे. मिस्र (48%), यूएई (41%) और भारत (38%) में कौशल अप्रचलन की दर सबसे अधिक होगी.

कंपनियों की रणनीति

63% वैश्विक नियोक्ता पहले ही कौशल अंतर के नकारात्मक प्रभावों का सामना कर रहे हैं. जवाब में, 77% नियोक्ता मौजूदा कर्मचारियों को पुनर्कौशल प्रदान करने की योजना बना रहे हैं, और 69% एआई उपकरणों में कुशल डेवलपर्स को नियुक्त करना चाहते हैं. हालांकि, 41% उन भूमिकाओं को कम करने पर विचार कर रहे हैं जो नई तकनीकी आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं हैं.

नौकरी वृद्धि और भारत की स्थिति

रिपोर्ट के अनुसार, 92 मिलियन नौकरियां समाप्त हो सकती हैं, लेकिन 170 मिलियन नई नौकरियां उभरेंगी, जिससे 78 मिलियन नौकरियों की शुद्ध वृद्धि होगी. कृषि, लॉजिस्टिक्स और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सबसे अधिक वृद्धि होगी. भारत में समावेशी भर्ती नीतियों की मजबूती उल्लेखनीय है, जहां 95% कंपनियां विविधता, समानता और समावेशन (DEI) पहल में शामिल हैं.