Traffic challan status: जितनी मोटी जेब, उतना भारी चालान! किस देश में ट्रैफिक फाइन होता है आपकी इनकम के हिसाब से?

भारत जैसे देश में जहां अमीर लोग चालान से आसानी से बच निकलते हैं, वहां इस सिस्टम की जरूरत महसूस होती है. इनकम बेस्ड चालान सिस्टम ये साबित करता है कि कानून की नजर में सब बराबर हैं- चाहे आम आदमी हो या अरबपति.

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Reepu Kumari

Traffic challan status: क्या कभी आपने सोचा है कि ट्रैफिक नियम तोड़ने पर आपका चालान आपकी सैलरी के हिसाब से कटे? सुनने में अजीब लगे, लेकिन फिनलैंड में ऐसा ही होता है. यहां ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस सबसे पहले आपकी इनकम चेक करती है और फिर उसी के आधार पर चालान काटती है.

दुनिया के ज्यादातर देशों में जुर्माने की राशि पहले से तय होती है, लेकिन फिनलैंड ने नियम तोड़ा और न्याय का नया पैमाना बना दिया. वहां अगर आप करोड़पति हैं तो चालान भी लाखों में कटेगा. इससे नियम सबके लिए बराबर हो जाते हैं और अमीर-गरीब का फर्क मिटता है.

इनकम के आधार पर चालान का फॉर्मूला

फिनलैंड में इसे ‘डे-फाइन’ सिस्टम कहा जाता है, जिसमें आपकी दैनिक आय के आधार पर चालान तय होता है. अगर आपकी इनकम ज्यादा है तो फाइन भी उसी अनुपात में ज्यादा होगा.फिनलैंड के इस मॉडल को बाद में स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों ने भी अपनाया. ये देश मानते हैं कि यही असली न्याय है.

‘डे-फाइन’ का फायदा 

नियम तोड़ने पर पुलिस व्यक्ति की डिजिटल इनकम डिटेल्स निकालती है. मासिक आय का 1/60 हिस्सा दैनिक आय माना जाता है. फिर उसे जुर्माने के दिनों से गुणा कर फाइन तय होता है. रियल एस्टेट टाइकून एंडर्स विक्लोफ पर 1.1 करोड़ रुपये का जुर्माना लग चुका है क्योंकि उन्होंने स्पीड लिमिट से ज्यादा तेज गाड़ी चलाई थी. अगर किसी की आय कम है तो उसका फाइन भी कम होता है. इससे किसी भी वर्ग को अन्याय महसूस नहीं होता. सड़क दुर्घटनाएं भी हुईं कम. फिनलैंड में इस सिस्टम की वजह से सड़क हादसों की दर दुनिया में सबसे कम है. प्रति लाख आबादी पर सिर्फ 3.8 दुर्घटनाएं होती हैं.इस सिस्टम से सरकार को ज्यादा राजस्व मिलता है और कानून का डर भी बना रहता है. ऐसे करना वाले इसके अलावा भी कई देश हैं.