Panchkanya Story: हिंदू धर्म में पंच कन्याओं की दिव्यता का वर्णन है. माना जाता है कि विवाह और संतान प्राप्ति के बाद भी ये स्त्रियां सदैव कुंवारी ही रहीं. इन कन्याओं के अंदर ऐसी दिव्य शक्तियां थीं, जिसके कारण ये अन्य से बिल्कुल अलग थीं. कुछ ऐसी भी कन्याएं हुईं, जिनको उनका कौमार्य ऋषियों के वरदान से वापस मिला.
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय ऋषि पराशर सत्यवती पर एकबार कामासक्त हो गए थे. ऐसे में ऋषि पराशर ने कहा कि वे उन्हें एक पुत्र प्रदान करना चाहते हैं, जो भविष्य की धरोहर बनेगा. यह बात सुनकर सत्यवती हैरान रह गईं, उन्होंने कहा कि हे ऋषिवर मैं कुंवारी हूं तो मां कैसे बन सकती हूं तो ऋषि ने कहा कि इससे तुम्हारा कौमार्य भंग नहीं होगा. तुम तब भी कुंवारी ही रहोगी. इसके बाद ऋषि के वरदान से सत्यवती ने एक पुत्र को जन्म दिया , जो आगे चलकर महर्षि वेदव्यास बनें. इसके अलावा भी पांच ऐसी कन्या थीं, जिनको ईश्वर का वरदान था कि वे विवाह और संतान प्राप्ति के बाद भी सदा के लिए कुंवारी कहलाएंगी. आइए जानते हैं कि वे पंच कन्याएं कौन थीं.
वाल्मीकि रामायण के बालकांड में देवी अहिल्या का जिक्र आया है. देवी अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं. इंद्रदेव ने उनके साथ छल कर लिया था. इस पर गौतम ऋषि ने उन्हें सदैव शिला बनने का श्राप दे दिया था. त्रेतायुग में जब प्रभु श्रीराम के चरण उस शिला पर पड़े तो उन्हें दोबारा से नारी स्वरूप प्राप्त हुआ. इसके बाद वे आजीवन कुंवारी कहलाईं.
लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी का नाम भी पंच कन्याओं में शामिल है. उनके पिता मायासुर और मां हेमा थीं. मंदोदरी का विवाह रावण के साथ हुआ था. विवाह के बाद उन्होंने कई बलशाली पुत्रों को जन्म दिया था,लेकिन इसके बाद भी उनका कौमार्य भंग नहीं हुआ था.
तारा एक अप्सरा थीं और उनका विवाह वानरराज बाली के के साथ हुआ था. तारा को ईश्वर से चिर कौमार्य का वरदान प्राप्त था.
पांडवों की मां कुंती भी पंचकन्याओं में एक थीं. उनका विवाह हस्तिनापुर नरेश पांडु के साथ हुआ था. पांडु को यह श्राप था कि वे पत्नी को स्पर्श करेंगे तो उनकी मृत्यु हो जाएगी. इस कारण कुंती देवताओं के आशीर्वाद से गर्भवती हुईं और आजीवन कुंवारी ही रहीं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था. वे बेहद सुंदर और गुणवान थीं. उन्हें यज्ञसेनी के नाम से भी जाना जाता था. माना जाता है कि पांच पांडवों से विवाह होने के बाद भी उनका कौमार्य भंग नहीं हुआ. उनको यह आशीर्वाद था. इस कारण द्रौपदी सदा के लिए कुंवारी कहलाईं.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.