menu-icon
India Daily
share--v1

भगवान शिव से कितने अलग हैं प्रभु श्रीराम, जानें क्या है दोनों में अंतर

Lord Ram And Shiva: भगवान राम और शिव को लेकर अब राजनीति होने लगी है. क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव और प्रभु श्रीराम में कितना अंतर है. अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि आखिर प्रभु श्रीराम से भगवान शिव कितना अलग हैं .

auth-image
India Daily Live
lord ram aur shiv

Lord Ram And Shiva: छत्तीसगढ़ के जांजगीर चंपा जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमार कैंडीडेट शिवा, भाजपा के राम से मुकाबला कर सकता है. खड़गे के इस बयान पर बीजेपी ने कांग्रेस पर जमकर हमला भी बोला है. इस पर बीजेपी के शहजाद पूनावाला ने कहा है कि कांग्रेस हिंदूओं को बांटना चाहती है, इस कारण वह राम बनाम शिव कर रही है. देश के राजनेता भले ही राजनीति में भगवान राम और शिव को एक-दूसरे के सामने ला रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव और प्रभु श्रीराम में क्या अंतर है. 

धर्म के जानकारों के अनुसार भगवान शिव स्वयं ईश्वर हैं और प्रभु श्रीराम ईश्वर का मानव रूपी अवतार हैं. ईश्वर का पूजन देव, दानव, मानव, गंधर्व, पशु और पक्षी सभी करते हैं. वहीं, भगवान राम को आदर्श पुरुष, महानायक और सर्वेसर्वा माना गया है. प्रभु श्रीराम ने मानव रूप में ईश्वर का पूजन किया है. भगवान ने मनुष्य रूप में प्रभु श्रीराम का अवतार लेकर दैत्यों को संहार किया है. 

भगवान शिव का पूजन करते हैं प्रभु श्रीराम

प्रभु श्रीराम स्वयं भगवान शिव के भक्त हैं. वे उनका पूजन करते हैं. भगवान श्रीराम ने ही रावण से युद्ध करने से पहले भगवान शिव की आराधना की थी, बाद में वह जगह रामेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुई. शिवपुराण के अनुसार प्रभु श्रीराम के इष्ट भगवान शिव हैं और भगवान शिव के इष्ट प्रभु श्रीराम हैं. इनमें न तो कोई बड़ा है और न ही कोई छोटा है. इसमें उपास्य और उपासक में परस्पर इष्ट भाव है. पूरे इतिहासम में ऐसा देखने को नहीं मिलता है. प्रभु श्रीराम भगवान शिव की पूजा करते हैं और भगवान शिव स्वयं हनुमान के रूप में प्रभु श्रीराम का पूजन करते हैं. 

खुद भगवान शिव ने कही है यह बात 

शिवपुराण में भगवान शिव के प्रभु श्रीराम के ध्यान में मग्न होने की बात कही गई है. इसके बार में एक कथा भी प्रचलित है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के ध्यान से उठने के बाद पूछा कि हे प्रभु आप तो स्वयं देवों के देव हैं. आप समाधि में किसका ध्यान करते हैं. इस पर भगवान शिव ने कहा कि वे जल्द ही इस प्रश्न का उत्तर देंगे. 

श्रीरामरक्षा स्त्रोत का दिया आदेश 

भगवान शिव एक बार बुधकौशिक ऋषि के सपने में आए और उनसे राम रक्षा स्त्रोत लिखने को कहा, इस पर ऋषि कौशिक भगवान शिव से प्रार्थना की थी कि वे इस स्त्रोत को लिखने में सक्षम नहीं हैं. इस पर भगवान शिव ने उन्हें दिव्य शक्ति प्रदान की. इसके बाद जब सुबह ऋषि कौशिक जागे तो उन्होंने भगवान शिव ने जैसे बताया था वैसा ही श्रीरामरक्षा स्त्रोत लिख दिया. 

पार्वती के प्रश्न का दिया उत्तर 

इस श्रीरामरक्षा स्त्रोत के माध्यम से प्रभु शिव ने माता पार्वती के प्रश्न का उत्तर भी दिया है. इस स्त्रोत में लिखा है कि भगवान शिव स्वयं प्रभु श्रीराम के नाम का ध्यान करते हैं. वे राम नाम में ही मग्न रहते हैं. राम नाम विष्णु सहस्त्रनाम के तुल्य है. इस कारण वे स्वयं राम नाम का ही स्मरण करते हैं. उन्होंने माता पार्वती से कहा है कि वे राम नाम में ही निवास करते हैं. वहीं, श्रीराम भगवान शिव का पूजन करते हैं. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.